मेरठः जिले में एक ऐसा घना जंगल है जहां किसी भी पेड़ की साख और पत्ता कोई नहीं तोड़ सकता है. इसके लिए मंदिर से आज्ञा लेनी पड़ती है. इस जंगल की रखवाली 12 गांवों के लोग करते हैं.
इस घने जंगल में एक दुर्गा मंदिर है. इस मंदिर की महंत कर्दम मुनि महाराज हैं. उन्होंने बाल्यकाल से ही वैराग्य धारण कर लिया था और वह इसी मंदिर में निवास करती हैं. उन्होंने बताया कि पांडु पुत्र अर्जुन के वंशजों ने जंगल में इस मंदिर का निर्माण कराया था.
कहा जाता है कि पांडु पुत्र अर्जुन के वंशज कृतपाल तोमर किसी रोज शिकार करने के बाद रात्रि विश्राम के बाद इन घने वृक्षों से घिरे जंगल में रुके थे. कृतपाल तोमर को तब स्वप्न में साक्षात मां दुर्गा ने दर्शन दिए थे. सपने में उन्हें मां दुर्गा ने अपनी उपस्थिति वहां होने का संकेत दिया था. इसके बाद कृतपाल तोमर ने वहां स्वयं प्रकट हुई मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित कराया था. उन्होंने बताया कि करीब 1000 साल पुराने इस मंदिर परिसर में कई वृक्ष और पौधे लगे हैं. इनमें कई पेड़ तो औषधीय गुणों से युक्त हैं. यहां कई वृक्षों की आयु तो 100 वर्ष से भी अधिक है. जब मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया तो यहां वृक्षों को काटने के बजाय उनका जीर्णोद्धार कराया गया.
साध्वी बताती हैं कि इस घने जंगल में स्थापित स्वयंभू मां दुर्गा के मंदिर परिसर में हजारों वृक्ष लगे हैं. कोई भी किसी भी वृक्ष से एक पत्ता नहीं तोड़ सकता है. जिस किसी ने भी इस जंगल से टहनी तोड़ने की कोशिश की उसके परिवार को संकट सहना पड़ा. ऐसे लोगों के साथ कोई न कोई दुर्घटना घटी है. ऐसी कई घटनाएं हैं.