मेरठ:हल्दी की खेती से किसान अपनी आमदनी में इजाफा कर सकता है. हल्दी के औषधीय गुण सामने आने के बाद अब इसकी बाजार में भी डिमांड बढ़ी है. वेस्ट यूपी में भी किसान हल्दी की खेती के प्रति रुचि दिखा रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि जलवायु के अनुसार सही प्रजाति का चयन कर हल्दी की वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए तो यह किसानों के लिए लाभकारी साबित होती है.
जानकारी देते कृषि विश्वविद्यालय केउद्यान विभागविभागाध्यक्ष. इसे भी पढ़ें-दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर टकराई एक के बाद एक 7 गाड़ियां, 3 घायल
कैसे करें हल्दी की खेती
- सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हल्दी की दो प्रजाति शोध के बाद विकसित की हैं.
- यह प्रजाति वेस्ट यूपी की जलवायु के अनुसार अधिक लाभकारी साबित हो रही हैं.
- एक प्रजाति का नाम वल्लभ प्रिया रखा गया है, जबकि दूसरी का नाम वल्लभ शरद है.
- कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वल्लभ प्रिया अधिक गुणवत्ता युक्त प्रजाति है.
- इसका उत्पादन भी सामान्य प्रजाति से करीब 15 प्रतिशत अधिक है.
- हल्दी की सफल खेती के लिए उचित फसल चक्र को अपनाना जरूरी होता है.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार हल्दी की खेती के लिए जमीन अच्छी तरह से तैयार करने के बाद 5 से 7 मीटर लंबी और दो से 3 मीटर चौड़ी क्यारियां बनानी चाहिए. उसके बाद 30 से 45 सेमी कतार से कतार की दूरी रहेगी. साथ ही 20 से 25 सेमी पौध से पौध की दूरी रखते हुए 4 से 5 सेमी गहराई पर कंदों को लगाना चाहिए.
हल्दी की खेती लगातार एक ही जमीन पर न की जाए इसके लिए खेत को बदलते रहना चाहिए. वल्लभ प्रिया का औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 280 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. एक हेक्टेयर में हल्दी की खेती पर करीब 75000 रुपये का खर्च आता है. किसान हल्दी की खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी हल्दी की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा विश्वविद्यालय में किसानों की विजिट कराकर उन्हें हल्दी की खेती के लिए न केवल प्रशिक्षण दिया जाता है, बल्कि समय-समय पर उन्हें तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त कराया जाता है.
-डॉ सत्यप्रकाश, विभागाध्यक्ष उद्यान विभाग, कृषि विश्वविद्यालय