मेरठ: कोरोना महामारी में मेडिकल कॉलेज में हुई लापरवाही पर योगी सरकार ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. मेरठ मेडिकल कॉलेज स्टाफ के द्वारा संक्रमित मरीज के शव का परिजनों को सूचित किए बगैर अंतिम संस्कार करने के मामले में कोविड ब्लॉक के प्रमुख अधीक्षक रहे डॉ. सुधीर राठी को निलंबित कर दिया गया है. उन्हें मेडिकल कॉलेज से हटा कर महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा कार्यालय से सम्बद्ध किया गया है.
सरकार ने कमिश्नर सुरेंद्र सिंह को मामले का जांच अधिकारी नियुक्त किया है. वहीं डॉ. अंशु पर विभागीय कार्रवाई के लिए शासन ने संस्तुति की है. शासन की इस कार्रवाई के बाद से मेडिकल कॉलेज में हड़कम्प की स्थिति बनी हुई है. कोविड से मृतक के परिजनों की शिकायत का संज्ञान लेकर शासन स्तर से कार्रवाई की गई है. शासन ने संविदा पर तैनात डॉक्टर उत्कर्ष कौशिक की सेवाएं पहले ही समाप्त कर दी थी.
जानिए, क्या है पूरा मामला
बरेली निवासी 65 वर्षीय संतोष कुमार को गाजियाबाद के कोविड अस्पतालों में जगह नहीं मिलने पर 21 अप्रैल की सुबह 11 बजकर 36 मिनट पर मेरठ मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था. कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उनकी तबियत के बारे में जानने के लिए कोविड सेंटर का हेल्पलाइन नंबर दिया गया था. बेटी शिखा नेवीडियो वायरलकर बताया था कि मेडिकल कर्मचारियों ने 3 मई को बताया था कि उनके पिता का ऑक्सीजन लेवल 92 आने के बाद आईसीयू में शिफ्ट किया गया है, लेकिन 3 मई के बाद कोविड सेंटर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
ढूंढ़ने पर नहीं मिले संतोष कुमार
परिजनों ने जब कोविड वार्ड प्रभारी डॉ. धीरज बालियान से पूछा तो मेडिकल स्टाफ में हड़कंप मच गया. संतोष कुमार को कोविड वार्ड और अस्पताल में तलाश किया गया, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पाया, जिसके बाद बेटी शिखा ने वीडियो वायरल कर सीएम योगी से पिता की बरामदगी की गुहार लगाई.