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ग्राम प्रधान ने परिषदीय स्कूल का किया 'कायाकल्प'

एक ग्राम प्रधान ने परिषदीय स्कूल का कायाकल्प कर दिया. सरकारी बजट का भरपूर प्रयोग करते हुए प्रधान ने न केवल बच्चों के खेलने के साधन मुहैया कराए बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीक के माध्यम से शिक्षा देने की भी व्यवस्था की. आखिर कहां है यह स्कूल और कैसे हुआ इसका कायाकल्प, जानने के लिए पढ़ें ईटीवी भारत की यह विशेष रिपोर्ट...

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अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय सरौंदा.

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Published : Jan 14, 2021, 8:58 PM IST

मऊ :परिषदीय विद्यालयों में शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार मिशन कायाकल्प से बजट दे रही है. ऐसे में जो ग्राम प्रधान सक्रिय रहे, वहां के स्कूल की तस्वीर बदल गई है. मऊ जनपद के रानीपुर विकासखंड के सरौंदा गांव का सरकारी स्कूल चमक रहा है. पंचायत बजट से 10 लाख रुपये खर्च करके स्कूल का स्वरूप बदल गया है. इस सरकारी स्कूल का परिसर किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं दिख रहा है.

स्पेशल रिपोर्ट...
शैक्षणिक सुविधाओं से लैस है स्कूल

अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय सरौंदा अपने न्याय पंचायत का सबसे सुंदर स्कूल है. यहां पर बच्चों को जहां सुसज्जित क्लास रूम में आधुनिक तकनीक के माध्यम से शिक्षा दी जाती है तो वहीं विद्यालय के परिसर को भी रंगीन शिक्षण सामग्री से सजाया गया है. पूरा परिसर हरा-भरा है और बच्चों को खेलने के लिए झूले सहित कई उपकरण हैं. इस स्कूल में बच्चों को सरलता से सीखने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है ताकि बच्चों का पढ़ाई में मन लगा रहे.

स्मार्ट क्लास रूम.
'गांव में ही मिले अच्छी शिक्षा'

परिषदीय स्कूल सरौंदा का स्वरूप बदलने वाले ग्राम प्रधान प्रतिनिधि विजय सिंह ने बताया कि आज हमारे गांव का स्कूल क्षेत्र का सबसे सुंदर स्कूल है. इसका कायाकल्प 10 लाख रुपये के बजट से किया गया है. स्कूल की चहारदीवारी, प्रवेश द्वार, इंटरलॉकिंग रास्ता, क्लासरूम में टाइल्स और डेस्क बेंच और तीन शौचालय का निर्माण कराया गया. मेरा प्रयास रहता है कि स्कूल सुंदर और स्वच्छ हो. मैंने भी इसी स्कूल से पढ़ाई किया हूं तो अब अवसर मिला है कि स्कूल का कायाकल्प कर दिया जाए ताकि गांव में ही बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके. हमें मेहनत का परिणाम मिला और आज हमारा स्कूल अंग्रेजी मीडियम में चयनित हो गया है .

खेलने का उपकरण.

ग्रामीणों ने की तारीफ

स्कूल के बारे में गांव के लोगों का कहना है कि टीचर लोग अच्छे से पढ़ाते हैं. गांव में घर-घर जाकर बच्चों को काम देते हैं. प्रधान ने स्कूल में काम कर इसे सुंदर बना दिया है.

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