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मऊ का यह लड़का बना लावारिसों का मसीहा

मऊ के ब्राह्मणपुरा गांव का रहने वाला अभयजीत मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा कर रहा है. बचपन से ही उन्हें गरीब, असहाय और लावारिस लोगों की मदद करने में रुचि थी. जिन लोगों को छूने से लोग कतराते हैं, उनकी अपने हाथों से अभयजीत स्वयं ही मरहम-पट्टी करता है.

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Published : Apr 9, 2019, 10:21 AM IST

लावारिसों का मसीहा अभयजीत

मऊ: 'लावारिस'...यह शब्द सुनते ही आमतौर पर मन में ऐसी छवि उभर जाती है, जिससे लोग दूरी बना लेते हैं. राह चलते अक्सर ऐसे लोग रेलवे स्टेशन, रोडवेज, सड़क का किनारे, अस्पताल, मंदिर आदि के बाहर मिलते हैं. इनमें से कुछ भीख मांग रहे होते हैं, तो कुछ घायलावस्था में पड़े हुए दिखते हैं, जिनके मुंह से बोलने की शक्ति भी नहीं बची होती है. ऐसे ही लोगों का मसीहा बना हुआ है जनपद मऊ का रहने वाला अभयजीत पांडेय. जो लावारिसों के कष्ट को कम कर उन्हें भी इंसान होने का एहसास दिला रहा है.

अभयजीत बना लावारिसों का मसीहा

लावारिसों में ज्यादातर ऐसे लोग दिखते हैं जो मानसिक रूप से विक्षिप्त, दिव्यांग या घायल होते हैं और कई दिनों से स्नान नहीं किए होते हैं. उन्हें देखकर लोग अक्सर ही मुंह फेर आगे बढ़ जाते हैं. जिन लोगों को छूने से लोग कतराते हैं, उनकी अपने हाथों से अभयजीत स्वयं ही मरहम-पट्टी करता है या तो जिला अस्पताल में अपनी देखरेख में इलाज करवाता है.


उपचार के बाद मिलती है दुआ
अभयजीत के हाथों इलाज किए हुए कुछ ऐसे लावारिस भी मिले जो जिला अस्पताल में नहीं, बल्कि अभयजीत के हाथों अपना मरहम-पट्टी कराने में ज्यादा सहूलियत पाते हैं. इन्हीं में से एक व्यक्ति मिले श्रीराम जो लावारिस हैं. उन्होंने बताया कि उनके पैर में कुत्ते ने काट लिया था. इलाज न करा पाने के चलते पांव में कीड़े पड़ गए थे. अभयजीत ने स्वयं ही उनका प्रथम उपचार किया और बाद में जिला अस्पताल में भर्ती कराया. जहां इलाज के बाद श्रीराम वहां से भागकर बाहर आ गया, जिसका अभयजीत ने खुद ही कई दिनों तक इलाज किया. श्रीराम ने बताया कि उन्हें इलाज के बाद अच्छा महसूस हो रहा है. अभयजीत को दुआ देते हुए कहा कि वह नेक काम कर रहा है और वह भविष्य में काफी उन्नति करेगा.


फिलहाल अभयजीत कुछ दिनों से सड़क किनारे लाचार पड़े एक सांढ़ के पैरों में भी मरहम-पट्टी कर रहा है. उसने बताया कि हाल ही में उसने एक पागल का इलाज किया, जिसने अपने शरीर पर 28 कपड़े पहन रखे थे. ईटीवी भारत से बात करते हुए अभयजीत ने बताया कि मऊ के ब्राह्मणपुरा गांव का रहने वाला है और फिलहाल मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा कर रहा है. बचपन से ही उन्हें गरीब, असहाय और लावारिस लोगों की मदद करने में रुचि थी. इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता और परिवार के संस्कार से मिली. उनके पिता एक अस्पताल में ओटी टेक्नीशियन हैं. उन्हें देखकर वह इस राह पर चल पड़ा है. लोगों को संदेश देते हुए कहा कि सभी को असहाय और लावारिस लोगों की मदद करनी चाहिए क्यूंकि उनका कोई अपना होता तो वो लावारिस नहीं होते.

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