घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में दारा सिंह चौहान होंगे भाजपा प्रत्याशी, सपा के सुधाकर सिंह से होगी लड़ाई
14:14 August 14
घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में दारा सिंह चौहान होंगे भाजपा प्रत्याशी, सपा के सुधाकर सिंह से होगी लड़ाई
लखनऊ :मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से चुनकर आए दारा सिंह चौहान ने विगत माह समाजवादी पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था और बाद में भारतीय जनता पार्टी में दोबारा शामिल हो गए थे. उनके इस्तीफा देने से रिक्त हुई विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर पांच सितंबर को उप चुनाव होगा और आठ सितंबर को मतगणना की जाएगी. गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 12 जनवरी को योगी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उस समय चर्चा थी कि अपने मंत्री के रूम में बेहतर कार्य न कर पाने के कारण उनका टिकट कट सकता है. इसी कारण उन्होंने भाजपा छोड़ सपा से दांव लगाया था.
दारा सिंह चौहान ने अपना राजनीतिक जीवन बहुजन समाज पार्टी से आरंभ किया था. वह 1996 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने. वर्ष 2000 में उन्हें दोबारा राज्यसभा जाने का मौका लगा. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह बसपा उम्मीदवार के तौर पर घोसी संसदीय सीट से चुने गए. फरवरी 2015 में दारा सिंह चौहान ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. ज्वाइनिंग के कुछ दिन बाद ही भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें चौहान मोर्चा का अध्यक्ष बनाया. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में वह मधुबन सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. हालांकि इन चर्चाओं के बाद कि उनका टिकट कट सकता है. उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. अब वह दोबारा भाजपा की राजनीति में लौट आए हैं और उप चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे.
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने विगत 13 अगस्त को घोसी विधानसभा सीट से सुधाकर सिंह को मैदान में उतारने की घोषणा की है. इस सीट से वह 2017 में भी चुनाव लड़े थे, किंतु तब उन्हें भाजपा उम्मीदवार फागू चौहान से पराजय का सामना करना पड़ा था. वर्ष 2019 के उप चुनाव में भी सुधाकर सिंह इसी सीट पर भाजपा के खिलाफ मैदान में उतरे थे, लेकिन तब उन्हें भाजपा के विजय राजभर से पराजय का सामना करना पड़ा था. इस सीट पर यदि जातीय समीकरणों की बात करें, तो यहां डेढ़ लाख से ज्यादा पिछड़ी जाति के मतदाता हैं. वहीं लगभग 70 हजार सवर्ण और साठ हजार मुस्लिम मतदाता हैं. इस सीट पर साठ हजार से ज्यादा दलित मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं, जबकि अन्य जातियों के लगभग 70 हजार मतदाता चुनावों पर अपना प्रभाव डालते हैं.
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