लखनऊ: उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे दिल से पूजा-अर्चना की जाए, तो जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. घर में धन की कभी कमी नहीं रहती.
बता दें कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी व्रत मनाने की अनूठी परम्परा है. इसी दिन एकादशी माता की उत्पति हुई थी. इसीलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. जो श्रद्धालु एकादशी का व्रत शुरू करना चाहते हैं, उन्हें उत्पन्ना एकादशी से ही इसकी शुरुआत करनी चाहिए. इस व्रत से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य मिलता है. इस दिन प्रात: जल्दी स्नान करके ब्रह्म मुहूर्त में भगवान कृष्ण का पूजन किया जाता है. इसके बाद विष्णु जी एवं एकादशी माता की आराधना करते हैं. दीपदान और अन्नदान किया जाता है. इस दिन कई लोग निर्जला उपवास करते हैं. कथा सुनने-पढ़ने का बहुत महत्त्व है. उत्पन्ना एकादशी के दिन विष्णु भगवान ने राक्षस मुरसुरा को मारा था.
पुराणों में बताया गया है कि भगवान विष्णु की पूजा से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं. ऐसा मान्यता है कि अगर भक्त हर गुरुवार को भगवान विष्णु की विधिवत्त पूजा करते हैं और बताए गए उपाय अपनाते हैं, तो उनके सारे संकट दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है. आइए डालते हैं एक नजर गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें और किन बातों का खास ख्याल रखें.
भगवान विष्णु जी की पूजा
इस दिन सुर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें. बता दें कि विष्णु जी को पीला रंग अधिक प्रिय था.
इसलिए उनके आगे पीले फूल और पीले रंग के फलों का भोग लगाएं. भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें दीप-धूप दिखाएं. इसके बाद विष्णु जी की आरती जरूर करें. गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए केले के पेड़ की पूजा जरूर करें.
गुरुवार को करें ये उपाय