लखनऊ : जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव के तौर पर धूमधाम से मनाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन पूरे देश में जहां झांकियां सजाई जाती हैं. वहीं भगवान के रूप को अलग-अलग माध्यमों से लोगों के सामने प्रदर्शित किया जाता है. राजधानी में गणेशगंज की डिजिटल मूविंग जन्माष्टमी के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की झांकियों में जान फूंकने की कोशिश की जाती है. यहां की जन्माष्टमी झांकी की राजधानी में अलग ही पहचान है. यहां जन्माष्टमी उत्सव में भगवान कृष्ण की लीलाओं को तकनीक के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है. जैसे-जैसे तकनीक बढ़ती जा रही है झांकियों में प्रयोग भी बढ़ता जा रहा है.
19 साल से चली आ रही परंपरा
गणेशगंज में जन्माष्टमी उत्सव का आयोजन करने वाले श्यामजोत परिवार के अनुपम मित्तल ने बताया कि 19 साल पहले हमने मैकेनिकल तौर पर जन्माष्टमी की तैयारी शुरू की थी. तब हम रस्सी, लकड़ी व दूसरे चीजों से बने औजारों के प्रयोग से झांकियां तैयार करते थे. जिसमें भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़ी हुई लीलाओं को दर्शाया जाता था. बीते एक दशक में जिस तरह से टेक्नोलॉजी अपडेट हुई है उसी हिसाब से अब हम झांकियां में भी बदलाव कर रहे हैं. अनुपम ने बताया कि मौजूदा समय में अपने यहां की मूर्तियां खुद ही तैयार करवाते हैं. साथ ही सारे इफेक्ट्स व मोशंस के लिए ग्राफिक्स और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट का प्रयोग किया जाता है. झांकियां की सभी मूर्तियों आदि का निर्माण खुद के कारखाने में करवाते हैं.
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गणेशगंज अमीनाबाद रोड की डिजिटल मूविंग जन्माष्टमी झांकी 7 सितंबर से शुरू होगी. छह दिन तक अलग-अलग लीलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा. कृष्ण जी की छठी के साथ झांकी 12 सितंबर को समाप्त होगी. कार्यक्रम कें संयोजक अनुपम मित्तल ने बताया कि रोज बदलने वाली झांकी में पहले दिन कन्हैया जी का जन्म, दूसरे दिन उखल बन्धन लीला, तीसरे दिन गौ पूजन महत्व, चौथे दिन श्री राधा कृष्ण की अठखेलियां, पांचवें दिन श्री राधा कृष्ण का वाटिका भ्रमण और छठे दिन फूलों की होली की लीला दिखाई जाएगी. बिजली से चलने वाली प्रतिमाओं और लाइट एंड साउंड के इफेक्ट के साथ लीला के सभी दृष्यों को जीवंत दिखाने की कोशिश की जाएगी.