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आखिर बसपा कार्यालय से क्यों हटाईं गईं आंबेडकर, कांशीराम और मायावती की प्रतिमाएं, जानिए वजह

लखनऊ में बसपा कार्यालय से आंबेडकर, कांशीराम और मायावती की प्रतिमाएं हटा दी गई है. आखिर इसके पीछे की वजह क्या है चलिए जानते हैं.

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Published : Jun 21, 2023, 7:36 PM IST

लखनऊ: माल एवेन्यू स्थित बहुजन समाज पार्टी के कार्यालय से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर, बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम और पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमाएं हटा दी गई है. यही नहीं बड़े-बड़े हाथियों के जो स्टेच्यू लगे थे वह भी हटा दिए गए हैं. अब यहां पर किसी की प्रतिमा नहीं रह गई है. जिस स्थान पर यह तीनों प्रतिमाएं लगी थीं अब वहां पर बिल्कुल खाली स्थान हो गया है. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक इन दिनों बहुजन समाज पार्टी कार्यालय में सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है इसलिए प्रतिमाएं हटाई गई हैं, जैसे ही मेंटेनेंस का काम पूरा हो जाएगा फिर से प्रतिमाएं स्थापित कर दी जाएंगी.

बसपा कार्यालय से हटाई गईं प्रतिमाएं.

बहुजन समाज पार्टी कार्यालय में बैठक के लिए प्रदेश भर से आए मंडल कोऑर्डिनेटर और जिला अध्यक्ष कार्यालय के अंदर प्रवेश करते ही संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर, पार्टी संस्थापक कांशीराम बीएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के हाथ जोड़कर कार्यालय की तरफ बढ़ते हैं लेकिन बुधवार को कार्यालय के अंदर का नजारा बदला देख सभी पदाधिकारी चौक रहे थे.

दरअसल, जिन प्रतिमाओं के सामने पदाधिकारी नतमस्तक होते थे वह प्रतिमाएं ही गायब थीं. नेताओं के बीच यह चर्चा का विषय बन गई. हालांकि कैमरे पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ लेकिन यहां के सिक्योरिटी से लोग जानकारी लेने लगे कि आखिर तीनों प्रतिमाएं क्यों हटाई गईं, कहां गईं हैं. सूत्रों की मानें तो पदाधिकारियों को जानकारी दी गई है कि कार्यालय मेंटेनेंस का काम कराया जा रहा है जिसके चलते इन प्रतिमाओं को हटाया गया है इसके बाद पदाधिकारियों की जिज्ञासा शांत हुई. पार्टी कार्यालय के अंदर ही नीले रंग का टेंट हाउस लगाकर इसी में प्रतिमाएं रखी गई हैं और कारीगर कार्यालय को चमकाने में जुटे हुए हैं.




बता दें कि बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर और पार्टी संस्थापक कांशीराम की जयंती और पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमाओं पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने हमेशा आती हैं. प्रदेश भर के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी जन्मदिन और पुण्यतिथि पर अंबेडकर और कांशीराम को याद करने आते हैं.

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