लखनऊ: अक्सर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने या ज्यादा गर्मी पड़ने पर लोग कहते हैं कि शहरीकरण बढ़ रहा है और जंगल कम होते जा रहे हैं. इस बारे में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मुख्य वन संरक्षक परियोजना विभास रंजन ने बताया कि हम अपने आसपास कौन से ऐसे काम कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण को दोबारा हरा-भरा किया जा सके.
जानिए, किन उपायों को करने से हो सकती है पर्यावरण की रक्षा
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. अक्सर यह कहा जाता है कि शहरीकरण बढ़ने से जंगल कम होते जा रहे हैं. इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मुख्य वन संरक्षक परियोजना विभास रंजन ने ईटीवी भारत से बातचीत में जंगलों की सच्चाई के बारे में बताया और ऐसे तरीकों के बारे में भी बताया, जिससे पर्यावरण को दोबारा हरा-भरा किया जा सके.
आखिर हम क्या करें, जिससे बच सके हमारा पर्यावरण
- उत्तर प्रदेश वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक आईएसएस विभाष रंजन के अनुसार इस वर्ष उत्तर प्रदेश में 22 करोड़ पौधे लगाने का वन विभाग ने निर्णय लिया है.
- विभाष रंजन ने बताया कि पिछले वर्ष भी प्रदेश में 11 करोड़ पौधे लगाए गए थे, लेकिन इस वर्ष पौधे लगाने के लिए किसानों और तमाम ऐसे वर्गों को भी शामिल किया गया है, जो खेती या अपने निजी कार्यों के साथ पौधे लगाना चाहते हैं.
- वन विभाग की तरफ से ऐसे किसानों को न केवल पौधे दिए जाएंगे बल्कि यह भी बताया जाएगा कि कौन से पौधे लगाने चाहिए और उसको लगाने के सही तरीके क्या होते हैं.
- रंजन एक बात यह भी कहते नजर आए कि हर कोई अपने आसपास हरियाली तो देखना चाहता है, लेकिन अपने घर के बाहर पेड़ नहीं लगाना चाहता.
भले ही हम शहरीकरण के लिए जंगल काट रहे हैं, लेकिन किसी दूसरी जगह हम जंगलों की संख्या बढ़ा भी रहे हैं. यह आंकड़ा स्टेट फॉरेस्ट रिकॉर्ड में भी है और दूसरी तरह से हम सेटेलाइट इमेज के द्वारा भी इसको देख सकते हैं. हमें यह जानना जरूरी है कि विकास जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी पर्यावरण के लिए पेड़ है. इसलिए यह कहना कि जंगल कम होते जा रहे हैं, गलत है. साल 2015 से 2017 के आंकड़ों को यदि हम देखें तो जंगलों की संख्या बढ़ी है.
-विभाष रंजन, मुख्य वन संरक्षक, इंडियन फॉरेस्ट सर्विस