हैदराबादः आखिर यह तय ही हो गया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार चुनाव लड़ेंगे. वह मैनपुरी विधानसभा की करहल सीट से भाग्य आजमाएंगे. चलिए जानते हैं अखिलेश के राजनीतिक सफरनामे के बारे में.
मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट मुलायम सिंह यादव की कर्मस्थली कही जाती है. नेताजी की यह सीट एक तरह से अखिलेश के लिए सिय़ासी विरासत है. शायद यही वजह है कि अखिलेश य़ादव पहली बार इस सीट से भाग्य आजमाने जा रहे हैं.
पढ़ाई पूरी करने के बाद अखिलेश ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन करते ही सभी का ध्यान खींचना शुरू कर दिया था. महज 26 वर्ष की उम्र में वर्ष 2000 में अखिलेश ने कन्नौज से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज भी की.
इसके बाद 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने लगातार जीत दर्ज कर इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा. यही नहीं अखिलेश ने फिरोजाबाद से भी 2009 में सांसदी का चुनाव जीता था, लेकिन बाद में उन्हें एक सीट छोड़नी पड़ी थी.
2012 में जब सपा यूपी की सत्ता में आई तो अखिलेश को सीएम की कुर्सी संभालनी पड़ी. 15 मार्च 2012 को अखिलेश ने सिर्फ 38 साल की उम्र में राज्य के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. 3 मई 2012 को अखिलेश ने कन्नौज लोकसभी सीट से इस्तीफा दे दिया था. 5 मई 2012 को अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बन गए.
2019 के चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को 2 लाख 59 हजार 874 मतों से हरा दिया था. अखिलेश को 6 लाख 21 हजार 578 और निरहुआ को 3 लाख 61 हजार 704 वोट मिले थे.
ये भी पढ़ेंः चंद्रशेखर आजाद गोरखपुर से सीएम योगी के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव
मैनपुरी से पांच बार सांसद रहे मुलायम सिंह यादव
मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव चार बार सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा 1996 से हुए आठ चुनावों में यहां एसपी ही जीतती रही है. 2019 में नेताजी को यहां से पांचवी बार जीत मिली थी.
सपा की मजबूत सीट मानी जाती है
अब सवाल उठता है कि अखिलेश यादव ने आखिर यह सीट ही क्यों चुनी. दरअसल, आजमगढ़, कन्नौज और मैनपुरी सपा की सबसे मजबूत सीट मानी जाती हैं. शायद यही वजह रही कि मुलायम सिंह यादव लगातार मैनपुरी से ही चुनाव लड़ते रहे. अखिलेश यादव का इस सीट से चुनाव लड़ना एक तरह से अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालना है. यहां से चुनाव लड़कर वह संदेश देना चाहते हैं कि यहां से मुलायम की गद्दी के वारिस भी वहीं हैं.
पहले से काफी मजबूत हुए अखिलेश
अखिलेश ने जब राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी तब वह अपने पिता की बताई हुई सीट से चुनाव लड़ते थे. पिता के मार्गदर्शन से उन्होंने सिय़ासत की बाजीगरी को बहुत अच्छे से सीख लिया है. हमेशा मुस्कारकर विपक्षियों को अपने तंज से बेहाल करने वाले अखिलेश अब मुलायम जैसे ही राजनीति के मझे खिलाड़ी के रुप में नजर आते हैं. इस बार मैनपुरी से लड़ने का फैसला भले ही वह पार्टी हाईकमान का बताए लेकिन वास्तव में इस पूरे गेम प्लान के पीछे असली मास्टर माइंड वहीं हैं. वह य़हां से कई निशाने साधेंगे. अब यह आने वाला वक्त बताएगा कि सपा को यह सीट कितना फायदा पहुंचाएगी.
शुरुआत में चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे अखिलेश
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक आते ही अखिलेश य़ादव ने ऐलान कर दिया था कि वह इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनके इस फैसले ने सभी को चौंका दिया था. इसके बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने इस फैसले के पीछे यह तर्क दिया था कि इस बार अखिलेश अपना पूरा फोकस हर सीट पर रखना चाहते हैं, जब वह चुनाव लड़ेंगे तो अन्य सीटों पर ध्यान नहीं दे पाएंगे. इससे पार्टी कमजोर हो सकती है. उनके इस फैसले को सराहा गया था. बाद में अखिलेश ने अपना पुराना फैसला बदल दिया. वह कहने लगे कि पार्टी हाईकमान जैसा निर्देश देगा वह वहीं करेंगे. इसी के बाद यह तय हो गया था कि अखिलेश चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप