लखनऊ: निकायों के परिसीमन को लेकर निकाय चुनाव (municipal elections) से दो माह पहले ही उत्तर प्रदेश में रार शुरू हो गई है. सपा और कांग्रेस का आरोप है कि सरकार विपक्ष के मजबूत वार्डों का परिसीमन बदलकर कमजोर करना चाह रही है जबकि भाजपा का कहना है कि सपा को अभी से निकाय चुनाव में हार का डर सता रहा है.
नगर निगम चुनाव से पहले वार्डों के परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट जारी होने से पहले ही विपक्ष ने सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठा दिए हैं. लखनऊ से उठा बवाल पूरे प्रदेश के करीब 500 वार्डों तक पहुंच चुका है. सपा पार्षद दल के नेता यावर हुसैन रेशू ने पूछा है कि परिसीमन के प्रस्ताव में समाप्त होने वाले सभी छह वार्ड विपक्ष के ही क्यों हैं. छह में तीन सपा, दो कांग्रेस और एक निर्दलीय प्रत्याशी के कब्जे वाले वार्ड को खत्म कर दूसरे ऐसे वार्ड में जोड़ दिया गया है जिससे विपक्ष को नुकसान हो और बीजेपी प्रत्याशियों को फायदा मिले. सपा पार्षद मोहम्मद सलीम ने परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद आपत्तियों की सुनवाई कर राहत न देने पर हाईकोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है. उनके मुताबिक मेयर ने परिसीमन में वार्ड खत्म न होने का आश्वासन दिया था लेकिन शुरूआती रिपोर्ट में सपा के कई वार्डों को पूरी तरह से खत्म करने की तैयारी है. वहीं, कांग्रेस के पूर्व पार्षद औऱ प्रदेश प्रवक्ता मुकेश सिंह चौहान ने भी परिसीमन के तौर तरीकों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
परिसीमन को लेकर इन्होंने ये कहा. बेगम हजरतमहल बजरंग बली वार्ड को खत्म करते हुए उसके ज्यादातर मोहल्लों को महानगर वार्ड में मिलाने का प्रस्ताव है. महानगर वार्ड से बीजेपी पिछले 30 वर्षों से नहीं हारी है. ऐसे में बेगम हजरतमहल बजरंग बली वार्ड से लगातार दो बार जीत रहे सपा के मोहम्मद सलीम के लिए इस बार लड़ाई काफी मुश्किल हो गई है. मोहम्मद सलीम साल 2012 में निर्दलीय और 2017 में सपा के टिकट पर यहां से जीते थे लेकिन अब चुनाव से पहले ही इस वार्ड के खतम होने की आशंका है. हरदीन राय वार्ड को विलोपित कर उसके मुहल्लों को लेबर कॉलोनी, राजाजीपुरम और कुंवर ज्योति वार्ड में मिला दिया गया है. हरदीन राय वार्ड से सपा के प्रत्याशी अजय दीक्षित चुनाव जीते थे. उनका आरोप है कि आपत्ति दर्ज करायी थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई. वहीं, सपा के लिए मजबूत माने जा रहे अशर्फाबाद वार्ड को खत्म कर उसके मुहल्लों को कश्मीरी मुहल्ला और भवानीगंज वार्ड में जोड़ दिया गया है. अशर्फाबाद वार्ड के पार्षद आफताब के मुताबिक जोनल अफसरों के जरिए परिसीमन में किए गए बदलाव की जानकारी हुई. इसके बाद आपत्ति दर्ज करा दी है लेकिन न्याय मिलने की उम्मीद ज्यादा नहीं है.
ओम नगर वार्ड को कांग्रेस के लिए काफी मजबूत माना जा रहा था लेकिन इस बार इस वार्ड को कुंज बिहारी ओम नगर वार्ड कर दिया गया है. यहां के तीन मुहल्लों चंदन नगर, मधुबन नगर और जय प्रकाश नगर को काट दिया गया है. यहां से कांग्रेस के राजेंद्र सिंह पार्षद थे जिनका पिछले साल देहांत हो गया. उनके बेटे के मुताबिक परिसीमन में मनमानी के साथ ही क्षेत्र में विकास के लिए बजट भी अफसरों ने रोक रखा है ताकि स्थानीय नागरिक कांग्रेस पार्षद के खिलाफ हो जाएं. वहीं, महात्मा गांधी वार्ड से कांग्रेस के अमित चौधरी पिछले चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीते थे. अब इस वार्ड को विक्रमादित्य वार्ड में मिलाकर महात्मा गांधी विक्रमादित्य वार्ड कर दिया गया है जहां से सपा के नीरज यादव को काफी मजबूत माना जा रहा है. इसके अलावा मौलाना कल्बे आबिद प्रथम और मौलाना कब्ले आबिद द्वितीय को मिलाकर अब मौलाना कल्बे आबिद वार्ड कर दिया गया है.
इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि विपक्ष अभी से निकाय चुनाव में हार का बहाना तलाशने लगा है. उनको यह लग रहा है कि वे चुनाव हार रहे हैं इसलिए वे कभी ईवीएम को दोष देते हैं तो कभी परिसीमन को. चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और उसका यह निर्णय होगा. पूर्व पार्षद और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश सिंह चौहान ने भी भाजपा पर निशाना साधा है.
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