लखनऊ :राजधानी के सरोजिनी नगर थाना क्षेत्र स्थित स्कूटर इंडिया कंपनी को 28 जनवरी से पूर्णता बंद कर दिया गया है. यहां कार्यरत कर्मचारियों को बगैर कहीं समायोजित किए बगैर भारत सरकार द्वारा इस कंपनी को बंद करने का निर्णय लिया गया. इसके विरोध में कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर परिवार सहित इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है. इन लोगों का कहना है कि उन लोगों की नौकरी अभी 15 से 20 वर्ष बाकी है. इस स्थिति में जबरन वीआरएस दिए जाने पर वे लोग कहां जाएंगे और क्या करेंगे.
स्कूटर इंडिया कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर मांगी इच्छा मृत्यु स्कूटर इंडिया भारत सरकार कीइकलौतीऑटोमोबाइल कंपनी
स्कूटर इंडिया में कार्यरत कर्मचारियों ने एक प्रेसवार्ता कर बताया कि स्कूटर इंडिया भारत सरकार की इकलौती ऑटोमोबाइल कंपनी है, जो मोदी जी के सपने इलेक्ट्रिक व्हीकल को पूर्ण कर सकती है. कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास लू उद्योग मंत्रालय के निदेशक एस के सिंह के साथ मिलकर कंपनी को बंद करने का षड्यंत्र करते आ रहे थे. आरोप लगाया कि जानबूझकर कंपनी में घाटा दिखाकर इसे बंद करा दिया. प्रबंधक पिछले एक वर्ष से कंपनी में नहीं आ रहे हैं. घर बैठकर ही आदेश देते हैं. साथ ही सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. कर्मचारियों को कई माह से वेतन भी नहीं दे रहे हैं. कंपनी के खाते में लगभग ₹16 करोड़ जमा हैं, जिससे उन लोगों की दो-तीन साल तक सैलरी दी जा सकती है.
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कहा कि अभी हाल ही में उन लोगों द्वारा बीएस-6 मॉडल के नए इलेक्ट्रिक व्हीकल का पेटेंट कराया गया है. वाहनों के चार्जिंग के लिए लखनऊ में पहला चार्जिंग स्टेशन भी बनवाया था. लेकिन स्कूटर इंडिया कंपनी के बंद हो जाने से यह सब प्रोजेक्ट बेकार हो गए हैं. आरोप लगाया कि जब से श्री निवास लू कंपनी के निदेशक बने हैं, लगातार कंपनी घाटे में जा रही है. यहां के डीलरों व वेंडरों से पैसे लेकर पूरी कंपनी में भ्रष्टाचार फैला दिया. कंपनी में अभी 61 अधिकारी व 14 कर्मचारी कार्यरत हैं जिनमें 5 महिला कर्मचारी भी हैं, संविदा पर कार्य कर रहे 325 लोगों को कंपनी ने पहले ही बाहर कर दिया था.
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कैसे करेंगे अपने परिवार व बच्चों का पालन-पोषण
प्रेसवार्ता में कंपनी के अधिकारी वर्ग से नवनीत शुक्ला, नीरज मिश्रा व अमित कुमार ने कहा कि अब उन लोगों को कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है. कंपनी के समस्त युवा अधिकारी अपने परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के पास प्रार्थना पत्र भेज रहे हैं. कहा, 'हमारे पास पैसे नहीं हैं और हमारी नौकरी भी छीन ली गई है. अब हम अपने परिवार और बच्चों का पालन पोषण कैसे करेंगे'.