लखनऊ: अवैध रूप से बनाए गए इमारतों और अवैध अतिक्रमण के अभियान के दौरान देखा गया है कि सार्वजनिक भूमियों पर भी नक्शा पास करवा कर इमारतों का निर्माण करा दिया गया है, जिसके बाद अवैध निर्माण और इमारतों को ध्वस्त करने के बीच में कानूनी अड़चने सामने आ रही है, जिसके चलते लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने निर्णय लिया कि अब से सिर्फ लखनऊ विकास प्राधिकरण के पास ही नक्शा पास करने की जिम्मेदारी नहीं रहेगी. नक्शा पास करवाने के लिए तहसीलदार की भी रिपोर्ट जरूरी मानी जाएगी. बगैर तहसीलदार के नक्शा पास किए गए मानचित्र को वैध नहीं माना जाएगा.
सरकारी जमीनों पर मुख्तार ने बना लिए थे आशियाने
लखनऊ में मुख्तार अंसारी के परिवारी जनों के डाली बाग गाटा संख्या 93 की सरकारी जमीन पर नक्शे पास किए गए थे. नक्शे एलडीए ने सरकारी जमीन पर पास कर दिए थे, जिसके बाद अब कई कानूनी दांव पेंच में प्राधिकरण के अफसर उलझे हुए हैं और यही वजह है कि एलडीए ने अब एक ऐसा नियम बना दिया है, जिससे सरकारी जमीन पर किसी भी तरह से नक्शा पास होने के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे. इसके संबंध में लखनऊ विकास प्राधिकरण से आदेश भी जारी कर दिया गया है.
मुख्तार अंसारी ने सरकारी जमीनों पर करवाया था नक्शा पास
लखनऊ में मकान के नक्शे के लिए तहसीलदार की रिपोर्ट जरूरी
लखनऊ में मकान का नक्शा पास करवाने के लिए तहसीलदार की भी रिपोर्ट अब जरूरी मानी जाएगी. बगैर तहसीलदार के नक्शा पास किए गए मानचित्र को वैध नहीं माना जाएगा.
डाली बाग के गाटा संख्या 93 पर किए गए मुख्तार परिवार के 3 अवैध निर्माणों का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है, जिसमें कई कानूनी दांवपेच में प्राधिकरण फंसता हुआ दिखाई दे रहा है. इसके पीछे वजह बताई जा रही है की नक्शा पास करने के वक्त एलडीए ने मिले कागजों के आधार पर इन्हें पास कर दिया था, लेकिन अब वो नक्शे निरस्त कर दिए गए हैं.
मानचित्र पास कराने के लिए जारी किए नया आदेश
कार्यक्रम उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश के इस आदेश के मुताबिक एलडीए के पूरे क्षेत्र में जहां भी प्राधिकरण की नियोजित कॉलोनी नहीं है. वहां का नक्शा पास करने से पहले बाकी औपचारिकताओं के अलावा तहसीलदार की रिपोर्ट भी देनी पड़ेगी ताकि सरकारी जमीन पर नक्शा पास होने के सारे रास्ते बंद हो जाए.
आम आदमी के लिए बढ़ेंगी मुश्किलें
एलडीए उपाध्यक्ष के इस आदेश के बाद बड़े लोगों के नक्शे तो आसानी से पास हो जाएंगे मगर आम आदमी की तकलीफ है बढ़ जाएंगी. आम लोगों को अपना नक्शा पास करवाने के लिए तहसील के भी चक्कर काटने पड़ेंगे. उसके साथ घूसखोरी की भी आशंका बढ़ जाएगी, क्योंकि जब तक तहसीलदार मानचित्र पर अपनी आख्या यानी की रिपोर्ट नहीं दे देगा तब तक किसी भी भूखंड के लिए बनाए गए नक्शे को मान्य नहीं किया जाएगा.