लखनऊ : राजधानी में इनकम टैक्स ऑफिस में बैठकर बेरोजगार युवकों को आयकर निरीक्षक की नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले मामले में एक और गिरफ्तारी हुई है. हजरतगंज पुलिस ने महा ठग प्रियंका मिश्रा के मददगार विभाग में तैनात प्रशासनिक अधिकारी एसके श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया है. जांच में सामने आया है कि एसके श्रीवास्तव ही वो शख्स था जो प्रियंका को इनकम टैक्स ऑफिस में एंट्री करवाता था, लोगों से मिलवाता और मुहर मुहैया करवाता था.
हजरतगंज इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि, बीती 23 नवंबर को प्रियंका मिश्रा लखनऊ अशोक मार्ग स्थित इनकम टैक्स ऑफिस की कैंटीन में फर्जी इंटरव्यू लेती गिरफ्तार हुई थी. इस दौरान उसके सभी साथी मौके से फरार हो गए थे, हालांकि प्रियंका मिश्रा से पूछताछ के आधार पर शक्ति भवन में तैनात संविदा बिजलीकर्मी सूरज मिश्रा, लक्ष्मी नारायण और गाजियाबाद के विजयनगर निवासी सुरेंद्र कुमार को बाद में गिरफ्तार किया गया था. जांच चल रही थी और प्रियंका मिश्रा के असली मददगार की तलाश जारी थी.
इंस्पेक्टर के मुताबिक, जांच के दौरान जब आरोपी ठग प्रियंका की सीडीआर खंगाली गई थी, तो सामने आया कि प्रियंका ने इनकम टैक्स के प्रशासनिक अधिकारी एसके श्रीवास्तव से लगभग 50 बार बातें की हैं. जांच के दौरान एसके श्रीवास्तव के बारे में पता किया गया तो सामने आया कि पिकप भवन की पांचवीं मंजिल पर स्थित आयकर आयुक्त कार्यालय में तैनात प्रशासनिक अधिकारी एसके श्रीवास्तव ही प्रियंका का असली मददगार था, जो प्रियंका को इनकम टैक्स ऑफिस में एंट्री करवाने से लेकर अधिकारियों से मुलाकात तक करवाने की जिम्मेदारी उठाता था.
दरअसल, यूपी के शाहजहांपुर की रहने वाली प्रियंका मिश्रा 23 नवंबर 2022 को लखनऊ स्थित आयकर विभाग के कार्यालय में आयकर इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी के लिए फर्जी इंटरव्यू लेते हुए पकड़ी गई थी. प्रियंका मिश्रा ने इनकम टैक्स ऑफिस की कैंटीन में अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया था. गिरफ्तारी के बाद प्रियंका से हुई पूछताछ के आधार पर डीसीपी ने बताया कि प्रियंका मिश्रा ने कबूल किया कि उसने आयकर विभाग के सहारे पैसे कमाने के लिए लखनऊ में आयकर विभाग में संविदा के पद पर नौकरी की थी. यहां अधिकारियों के तौर तरीकों को सीखने के साथ-साथ वह सभी के नाम और डिटेल का डाटा बेस बनाने लगी थी. इसी दौरान प्रियंका ने खुद को सहायक कर आयुक्त बताना शुरू कर दिया. वह लोगों से ये बताने लगी कि उसके संपर्क दिल्ली स्थित आयकर विभाग के अधिकारियों से हैं, जिससे वो किसी की भी नौकरी लगवा सकती है. जब उसके पास नौकरी के लिए सिफारिशें आने लगीं तो संविदा की नौकरी छोड़ लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देने का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया.
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