लखनऊ : केंद्र और प्रदेश सरकार एक तरफ दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सड़क सुरक्षा जागरूकता के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही है, वहीं दूसरी तरफ मोटर ट्रेनिंग स्कूल प्रशिक्षण के नाम पर उगाही कर रहे हैं. ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय (RTO office) से चंद मिनटों की दूरी पर खड़ी ट्रेनिंग स्कूल की गाड़ियों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्टिफिकेट के नाम पर सिर्फ वसूली हो रही है. हैवी वाहन को चलाने का प्रशिक्षण देने वाली मोटर ट्रेनिंग स्कूल की गाड़ियां डंप खड़ी हैं. कूड़े में खड़ी ट्रेनिंग स्कूल की गाड़ियों का पहिया कब हिला होगा, इसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है. बावजूद इसके रोजाना सर्टिफिकेट जारी हो रहे हैं.
परिवहन विभाग के नियम के तहत पांच घंटे यातायात नियमों की जानकारी और 15 घंटे वाहन संचालन का प्रशिक्षण देना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा प्रशिक्षण दिया ही नहीं जा रहा है. हैवी मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालक राजधानी की किन सड़कों पर और किस समय वाहन संचालित करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. जिम्मेदार अफसर बता नहीं पा रहे हैं. यह अपने आप में बड़ा सवाल है. परिवहन विभाग ने प्रदेश के 77 क्षेत्रीय कार्यालयों में रोजाना बनने वाले लर्निंग व परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस का कोटा निर्धारित कर रखा है. दो पहिया व चार पहिया वाहन के डीएल निर्धारित कोटे से अधिक नहीं बनते हैं. इसके बावजूद आरटीओ कार्यालय में हैवी वाहन के ड्राइविंग लाइसेंस का कोटा तय नहीं हैं.
सूत्रों के मुताबिक, आरटीओ कार्यालय में हर माह 200 से ज्यादा संख्या में हैवी वाहन के ड्राइविंग लाइसेंस बन रहे हैं. हैवी मोटर ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट होने पर आरटीओ में ड्राइविंग टेस्ट से छूट दी गई है. हैवी मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालक इसका लाभ उठा रहे हैं. सुविधा शुल्क की आड़ में बिना प्रशिक्षण धड़ल्ले से सर्टिफिकेट बांटे जा रहे हैं. लखनऊ जोन कार्यालय से ट्रेनिंग स्कूलों को सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं. हैवी मोटर ट्रेनिंग स्कूल के लिए सर्टिफिकेट का कोटा तय है. ट्रेनिंग स्कूल के पास एक गाड़ी होने पर 24 सर्टिफिकेट का कोटा तय किया गया है, वहीं दो गाड़ी होने पर 48 सर्टिफिकेट हर माह मिलते हैं. लखनऊ में मौजूदा समय में आठ हैवी मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालित हो रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, इनमें से दो मोटर ट्रेनिंग स्कूल ऐसे हैं जिनके पास प्रशिक्षण के लिए दो-दो ट्रेनी हैं, जबकि अन्य के पास एक गाड़ी है. इस तरह मोटर ट्रेनिंग स्कूलों को हर माह करीब 240 सर्टिफिकेट जारी हो रहे हैं, जबकि प्रशिक्षण किसी को भी नहीं दिया जा रहा है. इससे पहले हैवी मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की संख्या इसकी दोगुनी थी. कई स्कूलों का नवीनीकरण न होने से अब आधे हो गए हैं.
सर्टिफिकेट के लिए वसूलते हैं चार हजार :परिवहन विभाग ने हैवी मोटर ट्रेनिंग स्कूलों से जारी होने वाले सर्टिफिकेट के लिए फीस हीं तय नहीं की. स्कूल संचालक फीस निर्धारण में की गई शिथिलता का फायदा उठा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक स्कूल सिर्फ सर्टिफिकेट का ही तीन से चार हजार रुपए तक वसूलते हैं. ज्यादातर मामलों में स्कूल संचालक हैवी वाहन का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने का ठेका ही ले लेते हैं. हैवी वाहन का डीएल बनवाने वालों से हजारों रुपए की वसूली हो रही है.
लखनऊ जोन के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर निर्मल प्रसाद (Deputy Transport Commissioner Nirmal Prasad) का कहना है कि मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालकों को आगामी 19 नवंबर को बुलाया गया है. उनसे इस मामले में बातचीत की जाएगी, साथ ही उन्हें सख्त निर्देश भी जारी किए जाएंगे कि वह प्रशिक्षण नहीं देंगे तो उनका मोटर ट्रेनिंग स्कूल का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा. सर्टिफिकेट उसे ही दें जिसने ट्रेनिंग ली हो और जो कुशल चालक हो गया हो. इस तरह के मामलों की जांच भी परिवहन विभाग के अधिकारी करेंगे और जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्रवाई भी होगी.
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