सुलतानपुर :लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद चर्चा में आए बीजेपी नेता व पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी और उनकी मां व सुलतानपुर की सांसद मेनका गांधी को बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान नहीं दिया है. बीजेपी की आला कमान द्वारा वरुण और मेनका का कद न बढ़ाने के बाद राजनीतिक महकमें चर्चाएं तेज हो गईं हैं. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के बाद से राजनीतिक महकमें में कई कयास लगाए जा रहे हैं. यूपी के इस चुनावी समर में वरुण गांधी क्या स्टैंड लेते हैं, इसका अभी इंतजार है.
मां-बेटे को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान न मिलने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने इस बारे में प्रबुद्ध जनों की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. बातचीत के दौरान प्रबुद्ध वर्ग ने ईटीवी भारत को बताया, कि मेनका गांधी को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से बाहर नहीं होना चाहिए था. लोगों का मानना है, कि मेनका व वरूण गांधी का कद बीजेपी को बढ़ाना चाहिए था. इस संबंध में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक वार्ष्णेय ने बाताया, कि सुलतानपुर की सांसद व पूर्व कैबिनेट मंत्री मेनका गांधी का कद निश्चित रूप से बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, कि मेनका गांधी स्वभाव की धनी हैं वह सभी से मिलतीं हैं. मेनका गांधी बिना किसी भेद-भाव के सभी के लिए काम करतीं हैं. बीजेपी को उनका कद बढ़ाना चाहिए था, ताकि प्रदेश भर के लोगों की वह मदद कर सकें.
समाजसेवी व अपराध निरोधक समिति के अध्यक्ष सरदार बलदेव सिंह का कहना है, कि सांसद मेनका गांधी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय मंत्रिमंडल में होना आवश्यक है. उन्होंने सुलतानपुर के विकास के लिए बहुत से कार्य किए हैं. पिछले कई वर्षों से मेनका गांधी के मुकाबले किसी नेता ने जिले में विकास कार्य नहीं कराए हैं.
लखीमपुर घटना एवं बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में की घोषणा के बाद ईटीवी भारत की टीम ने मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र सुलतानपुर में कई लोगों से उनकी प्रतिक्रिया जानी. इस दौरान लोगों ने मेनका गांधी की जमकर तारीफ की. कुछ लोगों ने बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति को लखीमपुर हिंसा से जोड़कर देखा.
पटकथा लेखिक मल्लिका राजपूत ने ईटीवी भारत को बताया, कि मेनका गांधी वन्य जीव प्रेमी हैं. मेनका गांधी ने सुलतानपुर में कई सराहनीय कार्य किए हैं. पटकथा लेखिक मल्लिका राजपूत का कहना है, कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मेनका गांधी का शामिल न होने दुखद है. यह पार्टी के अंदर का निर्णय है, वह इस मामले में कटाक्ष नहीं करना चाहती हैं. उन्होंने कहा, कि यदि लखीमपुर की घटना में मोहरा बनाकर मेनका गांधी कद नहीं बढ़ाया गया है तो वह दुखद है. लखीमपुर हिंसा में जिन किसानों की मौत हुई है, वह भी बेहद दुखद था. ऐसे में वरुण और मेनका गांधी का किसानों के पक्ष में खड़ा होना लाजमी है.