लखनऊ :उत्तर प्रदेश में अगर 1970 से 1980 के दशक के बीच की बात करें तो वाहनों की नंबर सीरीज अंग्रेजी के तीन वर्णमाला वाली होती थी. इसके बाद जब मोटर व्हीकल एक्ट बनकर तैयार हुआ तो फिर हर राज्य को एक कोड दिया गया और उसके बाद राज्य के कोड के साथ वाहन नंबर सीरीज शुरू हुई. अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जिस तरह से वाहनों की बिक्री की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है उससे माना जा रहा है कि एक दशक से ज्यादा समय में "ए" से शुरू हुई सीरीज जेडजेड तक पहुंच जाएगी. ये सीरीज भी खत्म हो जाएगी. जब पूरी सीरीज समाप्त होगी तो इसके बाद कौन सी सीरीज लाई जाएगी?. क्या ट्रिपल ए सीरीज शुरू होगी या फिर दिल्ली की तर्ज पर वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा? इस पर विभाग की तरफ से मंथन शुरू कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आरटीओ कार्यालय की बात करें तो वर्तमान में यहां पर वाहनों की "एनयू" सीरीज चल रही है. जिस तेजी के साथ लोग वाहनों की खरीदारी कर रहे हैं उससे 0001 से शुरू होकर 9999 तक के नंबर एक माह के अंदर बुक हो जाते हैं और सीरीज खत्म हो जाती है. इसके बाद फिर नई सीरीज आती है और नए वाहनों का पंजीकरण होता है. इस तरह उम्मीद जताई जा रही है कि वाहनों की तेजी से हो रही खरीदारी से आने वाले लगभग 14 वर्षों में जेडजेड सीरीज भी बुक हो जाएगी और नंबर प्लेट पर अंकित होने वाली सीरीज बदल जाएगी.
22 माह में खत्म हो जाती है पूरी सीरीज :परिवहन विभाग के जानकार बताते हैं कि नंबरों की एक पूरी सीरीज को खत्म होने में लगभग 22 माह लगते हैं. वर्तमान में लखनऊ आरटीओ कार्यालय में एसयू सीरीज चल रही है. लिहाजा, जेडजेड तक पहुंचने में तकरीबन साढ़े 13 से 14 साल लगेंगे. इसके बाद परिवहन विभाग लखनऊ में वाहनों की तीन वर्णमाला वाली सीरीज शुरू कर सकता है या फिर दिल्ली में जिस तरह वाहनों की सीरीज है वैसी सीरीज शुरू हो सकती है.