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स्थापना दिवस समारोह के दौरान छात्र जीवन को याद कर भर आईं आंखें, उच्च शिक्षा मंत्री ने कही यह बात

लखनऊ विश्वविद्यालय के 102वें स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि विश्वविद्यालय तो वह जगह है, जहां आने पर आदमी फिर जवान हो जाता है, क्योंकि यहां से जुड़ी उसके जीवन की बहुत से यादें होती हैं. हर एक छात्र-छात्रा के लिए विश्वविद्यालय वंदनीय है. लखनऊ विश्वविद्यालय का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है.

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Published : Nov 25, 2022, 11:05 PM IST

लखनऊःकहावत है कि इतिहास अपने को दोहराता है, लेकिन एक शायर ने कहा कि यह गलत है. अगर इतिहास अपने को दोहराता है तो कोई हमारी जोश-ए-जवानी लौटा दे? लगता है कि शायर शायद कभी विश्वविद्यालय नहीं गया. नहीं तो वह ऐसा न कहता, क्योंकि विश्वविद्यालय तो ऐसी जगह है, जहां लौट आती है जोश-ए-जवानी. उच्च शिक्षा मंत्री के योगेन्द्र उपाध्याय (Higher Education Minister K Yogendra Upadhyay) के इस कथन पर मालवीय सभागार लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से गृूंज उठा. मौका था लखनऊ विश्वविद्यालय का 102वें स्थापना दिवस समारोह का.

मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय (Higher Education Minister K Yogendra Upadhyay) ने कहा कि विश्वविद्यालय तो वह जगह है, जहां आने पर आदमी फिर जवान हो जाता है, क्योंकि यहां से जुड़ी उसके जीवन की बहुत से यादें होती हैं. विश्वविद्यालय आने पर कुछ करने की प्रेरणा भी मिलती है. हर एक छात्र-छात्रा के लिए विश्वविद्यालय वंदनीय है. उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय को हाल ही नैक का ए डबल प्लस ग्रेड मिला है. उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय (Higher Education Minister K Yogendra Upadhyay) ने कहा कि ए डबल प्लस ग्रेड पाने वाला पहला और आखिरी विवि नहीं है. यह गारंटी है कि और भी विवि ए डबल प्लस ग्रेट पाएंगे. पांच विवि तो ए प्लस की लाइन में हैं. वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना होगा. उत्तर प्रदेश में ही उन्हें सारी सुविधा मिलेगी.

लखनऊ विश्वविद्यालय के इस समारोह के आकर्षण के केंद्र में पूर्व छह विशिष्ट छात्र थे. जिन्होंने अपने क्षेत्र में कामयाबी के साथ-साथ ख्याति भी अर्जित की. आज उनके विश्वविद्यालय पहुंचने पर न केवल पुराने दिनों की यादें ताजा हुई बल्कि मौजूद छात्र-छात्राओं को प्रेरणास्रोत व मार्गदर्शन भी मिला. विश्वविद्यालय के छह प्रतिष्ठित पूर्व छात्र को सम्मानित किया गया. इसमें राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी, भौतिक प्रयोगशालाएं, अहमदाबाद के निदेशक अनिल भारद्वाज, भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड के पूर्णकालिक सदस्य जयंती प्रसाद (सेवानिवृत्त आईएएस), मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव शशि प्रकाश गोयल, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ला और मनु श्रीवास्तव (आईएएस) शामिल रहे.

न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी (Justice Rituraj Awasthi) ने कहा कि आज वो जो भी हैं अपने शिक्षकों की बदौलत हैं. शशि प्रकाश गोयल ने अपने विश्वविद्यालय के दिनों, टैगोर पुस्तकालय को याद किया और अपने शिक्षकों को सबसे बेहतरीन कह संबोधित किया. डॉ. अनिल भारद्वाज ने अपने विश्वविद्यालय के दिनों को याद किया और चंद्रयान मिशन के बारे में बात की, जिसका वह हिस्सा थे. आशुतोष शुक्ल ने अपने प्राध्यापकों को याद किया जिन्होंने उन पर अमिट छाप छोड़ी. यहां तक कि वह अपने मूल विभाग के कर्मचारियों को भी याद किया. जयंती प्रसाद ने अपने प्रोफेसरों को अच्छी यादों और उनके द्वारा गठित संगीत समूह को याद किया. वह इतना भावुक हो गए कि उनकी आंखों में आंसू आ गए. मनु श्रीवास्तव ने एक वीडियो संदेश भेजा क्योंकि उनकी पूर्व निर्धारित प्रतिबद्धताओं के कारण वे आज के समारोह का हिस्सा नहीं बन पाए. उनके माता पिता इस कार्यक्रम में आए थे.


समारोह के विशिष्ट अतिथि परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह (Special guest of the ceremony Transport Minister Dayashankar Singh) ने स्थापना दिवस में बुलाए जाने पर कुलपति आलोक राय सहित सभी शिक्षकों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने जब अपने विद्यार्थी जीवन से मंत्री बनने तक के सफर को अपने शब्दों के जरिए पर्दा उठाया तो लोग अपनी हंसी को रोक नहीं पाए. उन्होंने कुलपति से कहा कि वह बताया कि विवि को क्या चाहिए. हम लविवि के विशेष योगदान के लिए तैयार है. वहीं कुलपति आलोक कुमार राय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए लविवि की प्रगति और उन्नति का लेखाजोखा प्रस्तुत किया. उन्होंने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह से वीसी केयर फंड में योगदान के लिए अपील की.

सांस्कृतिक शाम में दिखीं अवध की लोक परंपराएं : विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह की सांस्कृतिक शाम पुरातन छात्र-छात्राओं के हुनर से सजी. जिसमें अवध की सांस्कृतिक विरासत के रंगों को बखूबी पेश किया. दास्तानगोई, कथक और शास्त्रीय गीत-संगीत के रंगों से मालवीय सभागार चटख हो उठा. शुरुआत पुरातन छात्रा ऋतुपर्णा ने मनमोहक देवी स्तुति से की. इसके बाद ताल से ताल मिला शीर्षक प्रस्तुति में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा नेत्शा और अकांक्षा ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुति से प्रशंसा पाई. विवि में पढ़ रही श्रीलंका की तीक्ष्णा व इहारा ने कैडिंयन डांस में भगवान परशुराम की महिमा का बखान किया.

शहर के युवा रचनाकार विवि के पुरातन छात्र कवि पंकज प्रसून ने अपनी चुनिंदा रचनाओं ने खूब तालियां बटोरीं. लोक रंगों से सजी स्थापना दिवस की शाम में पुरातन छात्रा वर्तिका तिवारी व छात्र जय सिंह ने जनकवि प्रदीप के कृतित्व-व्यक्तित्व पर आधारित डॉक्यूमेंट्री दिखाई. जिसमें कवि प्रदीप की वर्तिका ने बताया कि कवि प्रदीप इसी विश्वविद्यालय के छात्र थे. हम सात रिसर्च स्टूडेंट्स ने काव्योम समूह के तहत यह डॉक्यूमेंट्री बनाई है. विवि में पढ़ रही दीपांशी, अनुभूति, महक, आस्था, इहारा और सृष्टि व अन्य ने ऐसा देश है मेरा…गाकर लोगों में देशभक्ति का जोश भरा. डॉ ऋचा आर्य, सत्यम, अनुराधा, मनीषा व अन्य स्टूडेंट्स के समूह ने मनमोहक नृत्य नाटिका में चारवाक दर्शन प्रस्तुति दी. शुजाउर रहमान और शाजिया खान ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाड़ी की दास्तानगोई कर सांस्कृतिक शाम को और खुशनुमा बना दिया.

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