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उत्तर प्रदेश में चुनाव टालने की हो रही है साजिश: नरेश उत्तम पटेल

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने सरकार पर यूपी में चुनाव को टालने की साजिश रचने का बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार स्नातक-शिक्षक चुनाव टालना चाहती है क्योंकि उसे इन चुनावों में अपनी करारी हार का एहसास हो गया है.

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नरेश उत्तम पटेल, प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी, यूपी

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Published : Sep 28, 2020, 7:18 PM IST

लखनऊ: बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश उपचुनाव और विधान परिषद की शिक्षक और स्नातक सीटों पर अब तक कोई एलान नहीं हुआ है. समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने इस मामले पर बोलते हुए बड़ा आरोप लगाया है. नरेश उत्तम ने सरकार पर यूपी में चुनाव को टालने की साजिश रचने का बड़ा आरोप लगाया है.

सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार में समान रूप से लाॅकडाउन समाप्त है, लेकिन जहां बिहार में विधान परिषद की शिक्षक व स्नातक सीटों के लिए निर्वाचन कार्यक्रम की चुनाव आयोग ने घोषणा कर दी है. वहीं उत्तर प्रदेश में चुनाव टालने की साजिश हो रही है.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार में विधान परिषद की शिक्षक-स्नातक सीटें 6 मई 2020 से रिक्त हैं और निर्वाचन आयोग ने 3 अप्रैल 2020 को इन निर्वाचन क्षेत्रों के लम्बित चुनाव एक साथ कोरोना महामारी और लाॅकडाउन के दृष्टिगत बढ़ाए गए थे. चुनाव आयोग ने बाद में 25 सितम्बर 2020 को बिहार विधान परिषद (शिक्षक-स्नातक) निर्वाचन कार्यक्रम जारी कर दिया है, लेकिन उत्तर प्रदेश को इससे अलग रखा गया है.

सपा प्रदेश अध्यक्ष ने योगी सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार स्नातक-शिक्षक चुनाव टालना चाहती है, क्योंकि उसे इन चुनावों में अपनी करारी हार का एहसास हो गया है. उत्तर प्रदेश में चुनाव टलने के फलस्वरूप फिर से नई मतदाता सूची बनाने में श्रम व समय व्यर्थ होगा.

उन्होंने कहा कि जब बिहार में स्नातक-शिक्षक क्षेत्रों में मतदान होने जा रहा है तो उत्तर प्रदेश में कौन सी विपरीत स्थिति पैदा हो गई है. इससे तो निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव पर ही प्रश्नचिह्न लगेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को उत्तर प्रदेश में भी विधान परिषद के शिक्षक-स्नातक क्षेत्रों के लिए निर्वाचन की तिथियां बिहार के साथ ही घोषित करना चाहिए. देश में चुनाव आयोग की छवि पर आंच न आए, इसके लिए लोकतांत्रिक हितों की दृष्टि से कार्यवाही अपेक्षित है.

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