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एक सीधी रेखा में दिखेंगे चंद्रमा, मंगल, शनि और बृहस्पति - three stars in summer triangle

17 अप्रैल की आधी रात के बाद एक खगोलीय घटना होने जा रही है. करीब 2:30 बजे एक सीध में चंद्रमा, मंगल, शनि और बृहस्पति ग्रह दिखेंगे. 17 अप्रैल की मध्यरात्रि के बाद क्षितिज के ऊपर दक्षिण पूर्वी दिशा में चंद्रमा दिखाई देगा. उसी सीध में चंद्रमा के ऊपर मंगल ग्रह, शनि ग्रह और फिर बृहस्पति ग्रह को देखा जा सकता है. यह चारों एक सीधी रेखा में उगते हुए दिखाई देंगे. यह तीनों ग्रह चंद्रमा के साथ सूर्योदय तक ऐसे ही दिखाई पड़ेंगे.

एक सीधी रेखा में दिखेंगे चंद्रमा, मंगल, शनि और बृहस्पति
एक सीधी रेखा में दिखेंगे चंद्रमा, मंगल, शनि और बृहस्पति

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Published : Apr 16, 2020, 10:35 PM IST

लखनऊः 17 अप्रैल की आधी रात के बाद एक खगोलीय घटना होने जा रही है. करीब 2:30 बजे एक सीध में चंद्रमा, मंगल, शनि और बृहस्पति ग्रह दिखेंगे. इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव कहते हैं कि जल्दी सो कर उठने वाले या देर रात तक जगने वाले लोगों के लिए यह खगोलीय घटना बेहद रोमांचक साबित हो सकती है.17 अप्रैल की मध्यरात्रि के बाद क्षितिज के ऊपर दक्षिण पूर्वी दिशा में चंद्रमा दिखाई देगा. उसी सीध में चंद्रमा के ऊपर मंगल ग्रह, शनि ग्रह और फिर बृहस्पति ग्रह को देखा जा सकता है. यह चारों एक सीधी रेखा में उगते हुए दिखाई देंगे. यह तीनों ग्रह चंद्रमा के साथ सूर्योदय तक ऐसे ही दिखाई पड़ेंगे.

एक सीधी रेखा में दिखेंगे चंद्रमा, मंगल, शनि और बृहस्पति

सुमित ने यह भी बताया कि यह खगोलीय घटना 17 अप्रैल से शुरू होकर 21 अप्रैल की रात तक लगातार दिखाई देगी. हालांकि मंगल से चंद्रमा की दूरी धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी. इस खगोलीय घटना के साथ-साथ एक और एस्ट्रोलॉजिकल इवेंट भी देखा जा सकता है. 2:30 बजे के ही आसपास एक 'समर ट्रायंगल' देखा जा सकता है. खास बात यह है कि इसे नग्न आंखों से ही देखकर पहचाना जा सकता है.

इस समर ट्राएंगल में 3 तारे होते हैं. इनके नाम 'डेना', 'वेगा' और 'अल्टियर' हैं. यह भी दक्षिण पूर्व दिशा से ही उगते हुए नजर आएंगे. जैसे-जैसे गर्मियों का मौसम बढ़ता जाएगा, वैसे ही यह समर ट्रायंगल आसमान में ऊपर की ओर बढ़ने लगेगा. जून और जुलाई के महीने में यह समय ट्राएंगल सूर्यास्त के समय से ही देखा जा सकता है. यह समर ट्राएंगल खगोलीय घटनाओं में रुचि लेने वालों के लिए बेहद खास साबित हो सकता है क्योंकि इस समर ट्रायंगल से हम आकाशगंगा को आसानी से पहचाना सकते हैं.

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