लखनऊ: राजधानी के लगभग सभी कॉलेजों में दाखिले के समय छात्रों से कॉशन मनी ली जाती है. नियम है कि पढ़ाई पूरी करने पर यह कॉशन मनी छात्रों को लौटा दी जाए लेकिन, शहर के कई कॉलेज प्रबंधन इसमें खेल कर रहे हैं. आलम यह है कि कई छात्रों का कॉशन मनी का लाखों रुपए कॉलेज के खातों में पड़ा हुआ है. बावजूद इसके कॉलेज प्रशासन यह पैसा लौटाने में आनाकानी कर रहा है.
- आलोक सिंह ने 2018 में लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज से एमए की पढ़ाई पूरी की थी. आलोक बताते हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें डिग्री भी मिल गई है लेकिन, फीस के साथ जमा हुआ कॉशन मनी आज तक कॉलेज प्रशासन की तरफ से वापस नहीं किया गया. इसको लेकर कई बार आवेदन किए गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
- शहर के एक डिग्री कॉलेज के शिक्षक की बहन ने 1987 में आईटी गर्ल्स कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. शिक्षक बताते हैं कि उन्होंने एक बार आईटी कॉलेज से कॉशन मनी वापस लेने का प्रयास किया लेकिन, कई बार कॉलेज के चक्कर काटने के बावजूद भी यह पैसा वापस नहीं हो पाया.
- यह हाल सिर्फ राजधानी के इन दो कॉलेजों का नहीं है. बल्कि, 90% निजी और सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में यही स्थिति देखने को मिल रही है.
लखनऊ विश्वविद्यालय भी समय से नहीं लौटाता है छात्रों का पैसा
राजधानी में लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों की संख्या करीब 170 है. यूजी से लेकर पीजी तक 1 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं हर साल इन कॉलेजों में पढ़ने के लिए प्रवेश लेते हैं. दाखिले के समय 3000 से 5000 तक बतौर कॉशन मनी फीस में जोड़कर छात्रों से जमा कराई जाती है. नियम के अनुसार पढ़ाई पूरी होने पर यह पैसा वापस किया जाना होता है. इसको लेकर समाजवादी छात्र सभा के जिला अध्यक्ष महेंद्र कुमार यादव ने बताया कि कई कॉलेज प्रबंधन यह पैसा वापस नहीं कर रहे हैं. शहर के प्रतिष्ठित श्री जय नारायण पीजी कॉलेज, बप्पा श्री वोकेशनल डिग्री कॉलेज, डीएवी कॉलेज, विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज समेत कई महाविद्यालयों में छात्रों का पैसा बकाया है. उनकी माने तो नियमानुसार यह पैसा छात्रों के कोर्स पूरा होते समय ही उन्हें लौटा देना चाहिए. महाविद्यालय तो दूर की बात है लखनऊ विश्वविद्यालय ही अपने छात्रों को पैसा समय पर वापस नहीं देता है.
छात्रों का 4-4 साल का पैसा विश्वविद्यालय के खातों में था
लखनऊ विश्वविद्यालय में भी कॉशन मनी को लेकर कई बार हंगामे हो चुके हैं. छात्रों द्वारा लगातार आरोप लगाए गए कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनका कॉशन मनी का पैसा वापस नहीं कर रहा है. हालांकि वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय की तरफ से पद संभालने के बाद ही लगातार इस पैसे को वापस किए जाने पर जोर दिया गया. अधिष्ठाता छात्र कल्याण परिषद पूनम टंडन ने विशेष अभियान चलाकर छात्रों का यह पैसा वापस करवाया. इस अभियान के दौरान यह सामने आया कि छात्रों का 4-4 साल का पैसा विश्वविद्यालय के अलग-अलग खातों में पड़ा हुआ था.