लखनऊ : राजधानी लखनऊ की शहर की सरकार का कार्यकाल गुरुवार रात 12 बजे समाप्त हो गया. महापौर संयुक्ता भाटिया सहित सभी पार्षदों का कार्यकाल पूरा हो गया और शुक्रवार से प्रशासक के पास नगर निगम की जिम्मेदारी आ जायेगी. महापौर संयुक्ता भाटिया नगर निगम से मिली सेवाओं को शुक्रवार को वापस कर देंगी. प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात की ओर से जारी आदेश के तहत प्रशासक काल में डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्य समिति काम करेगी. नगर निगम में प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय एवं नगर आयुक्त के संयुक्त हस्ताक्षर से आहरण वितरण होगा. समिति सिर्फ दैनिक प्रशासनिक कार्यों और पहले से चल रहे विकास कार्य व परियोजनाओं की निगरानी व संचालन करेगी. वह कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं लेगी.
कार्यकाल समाप्त होने के अंतिम दिन नगर निगम का नजारा बदला-बदला सा दिखा. निगम में कोई खास चहल-पहल नहीं थी. पार्षद के कक्ष में पार्षद अक्सर बैठते थे. कार्यालय के दरवाजे पर ताला जड़ दिया गया है. पांच साल पहले 12 दिसंबर 2017 को संयुक्ता भाटिया ने महापौर पद की शपथ ली थी. वे शहर की पहली महिला महापौर भी बनी थीं. चुनाव होने तक प्रशासक काल लागू रहेगा.
लखनऊ नगर निगम 200 करोड़ के म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने वाला उत्तर भारत का पहला नगर निगम भी बना. इस पैसे से नगर निगम की सबसे पहले आवासीय योजना निर्माणाधीन है, लेकिन महापौर ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखायी. अहाना इन्क्लेव नाम से शुरू की गयी आवासीय योजना के पक्ष में संयुक्ता भाटिया नहीं थीं, इसीलिए इस मुद्दे पर न तो सदन में चर्चा हुई और न ही उन्होंने कभी स्थलीय निरीक्षण किया. हाल यह है कि दो साल से काम चल रहा है अभी तक आधे फ्लैट भी नहीं बिक सके हैं. वहीं, सदन में आवासीय योजना का नाम पं. दीन दयान उपाध्याय नगर योजना रखा गया था, मगर पूर्व नगर आयुक्त ने इसका नाम अहाना इन्क्लेव कर दिया और वर्तमान में इसे बदलकर अहाना ग्रीन इन्क्लेव कर दिया गया. 75 वर्ष की उम्र में भी संयुक्ता भाटिया की शहर में सक्रियता उनकी अलग पहचान बनाती है.