लखनऊ:केजीएमयू में मिलने वाले व्यक्ति विशेष के नाम पर मेडल का स्वरूप अब बदलेगा.मेधावियों के मेडल से डॉक्टरों के नाम का ठप्पा हटाया जाएगा. इसका मकसद किसी व्यक्ति के बजाए 'विशेषज्ञता' को महत्व देना है. ऐसा यह कई वर्षों बाद होगा. इसके चलते संस्थान में हलचल तेज है.
केजीएमयू 115 बरस का हो गया है. इसमें 75 विभाग हैं. वहीं, संचालन 56 विभागों का हो रहा है. यहां मेडिकल पाठ्यक्रमों के टॉपर्स को मेडल-अवॉर्ड दिए जाते हैं. इसमें एमबीबीएस, एमडी, एमएस, डीएम, एमसीएच व नर्सिंग के लिए अलग-अलग मेडल तय किए गए हैं. यूजी-पीजी कोर्स में टॉपर्स के साथ-साथ स्पेशयलिटी कैटेगिरी में भी अवॉर्ड-बुक प्राइज तय किए गए हैं. ऐसे में करीब 200 मेडल, अवॉर्ड और बुक प्राइज हर वर्ष मेधावियों को दिए जाते हैं. इसमें ज्यादातर डॉक्टरों और उनके परिवारजनों के नाम पर मेडल हैं. ऐसे में मेडल से डॉक्टरों और उनके परिवारजनों का नाम हटने पर विवाद की भी आशंका है.
एक को छोड़कर सभी व्यक्ति विशेष के नाम
केजीएमयू में सबसे प्रतिष्ठित हीवेट और चांसलर गोल्ड मेडल हैं. यह एमबीबीएस के टॉपर को प्रदान किया जाता है. वहीं, शेष गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल, ब्रांज मेडल विभिन्न कोर्स, विषयों में सर्वोच्च अंक हासिल करने वाले छात्रों को मिलते हैं. मीडिया प्रभारी डॉ सुधीर सिंह के मुताबिक सिर्फ चांसलर मेडल छोड़कर शेष सभी मेडल व्यक्ति विशेष के नाम पर ही हैं.
दीक्षा समारोह और स्थापना दिवस पर मिलते मेडल