लखनऊः प्रदेश के गन्ना किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तथा किसानों की संख्या एवं सुझावों के दृष्टिगत ई.आर.पी. की वेबसाइट- enquiry.caneup.in. पर ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरने तथा नई सदस्यता लेने की अन्तिम तिथि को 30 सितंबर से बढ़ाकर 15 अक्टूबर कर दिया गया है. आयुक्त गन्ना एवं चीनी संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि स्मार्ट गन्ना किसान प्रोजेक्ट के अन्तर्गत गन्ना किसान वर्तमान में सुविधा पूर्वक अपने घोषणा-पत्र आनलाइन भर रहे हैं. प्रदेश स्तर पर सभी किसानों द्वारा एक साथ घोषणा-पत्र भरने तथा नई सदस्यता के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया पूर्ण करने में समय लग रहा था तथा अन्तिम तिथि भी निकट आती जा रही थी.
भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना किसानों की इस समस्या का त्वरित संज्ञान लेते हुए पेराई सत्र 2021-22 के लिए आनलाइन सदस्यता लेने एवं घोषणा-पत्र भरने की अन्तिम तिथि को कृषक हित में 30 सितम्बर, 2021 से बढ़ाकर 15 अक्टूबर, 2021 कर दिया गया है. इस निर्णय से गन्ना किसानों को काफी सहूलियत एवं सुविधा होगी तथा किसानों को आनलाइन आवेदन करते समय किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी.
यह भी उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा किसानों की सुविधा हेतु ऑनलाइन आवेदन करते समय खतौनी अपलोड करने की अनिवार्यता तथा परिचय प्रमाणित करने के लिए बैंक पासबुक की छायाप्रति अपलोड करने की आवश्यकता को भी पूर्व में ही समाप्त कर दिया गया है. जिससे किसानों द्वारा आसानी से एवं सुविधापूर्वक आवेदन किया जा सके.
योगी सरकार का दावा, गन्ना किसानों की आय में हुई वृद्धि
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने जारी बयान में बताया कि वर्ष 2021-22 के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. शीघ्र प्रजाति के लिए 350 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य प्रजाति के लिए 340 प्रति क्विंटल एवं अस्वीकृत प्रजाति के लिए 335 प्रति क्विंटल की दरें निर्धारित करते हुए गन्ना किसानों को लाभान्वित किया है. इस बढ़े हुए गन्ना मूल्य से प्रदेश के गन्ना किसानों को वर्ष 2021-22 में लगभग 4,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि गन्ना मूल्य के रूप में चीनी मिलों से प्राप्त होगी.
वर्तमान सरकार के गन्ना किसानों के हित में लिए गये निर्णयों से वर्ष 2021-22 हेतु शीघ्र पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 97.45 प्रतिशत, सामान्य प्रजातियों का क्षेत्रफल 2.34 प्रतिशत एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का मात्र 0.21 प्रतिशत हो गया है. सरकार के पूर्व वर्ष 2016-17 में प्रदेश में शीघ्र पकने वाली प्रजाति का क्षेत्रफल 52.83 प्रतिशत, सामान्य पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 37.44 प्रतिशत एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का क्षेत्रफल 9.73 प्रतिशत था.