लखनऊ:ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय और गिरि विकास अध्ययन संस्थान की ओर से संयुक्त रूप से प्रस्तावित पार्ट टाइम पीएचडी कार्यक्रम का संचालन नहीं किया जाएगा. कोर्स को शुरू करने में लगातार हो रही देरी को देखते हुए इसे रद्द करने का फैसला लिया गया है. दाखिले के लिए आवेदन करने वाले करीब 300 अभ्यर्थियों का शुल्क वापस किया जाएगा.
पार्ट-टाइम PHD कार्यक्रम निरस्त, आवेदन शुल्क होगा वापस
राजधानी स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय और गिरि विकास अध्ययन संस्थान के एमओयू से प्रस्तावित पार्ट टाइम पीएचडी कार्यक्रम को निरस्त कर दिया गया है. कोर्स शुरू न हो पाने की वजह से आवेदकों का शुल्क वापस किया जा रहा है.
दोनों संस्थानों के बीच हुआ था एमओयू
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय और गिरि विकास अध्ययन संस्थान के बीच पिछले वर्ष एक एमओयू ओएमयू पर हस्ताक्षर हुए थे. इसके तहत दोनों संस्थानों के द्वारा संयुक्त रूप से पार्ट टाइम पीएचडी शुरू करने का फैसला लिया गया था. पिछले साल फरवरी में इसके लिए आवेदन भी ले लिए गए. प्रति आवेदन 3000 रुपये का शुल्क अभ्यर्थियों से लिया गया, लेकिन उसके बाद से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई. इसको लेकर अभ्यर्थियों में काफी नाराजगी थी.
इसे भी पढ़ें-केजीएमयू और एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर
आवेदकों से लिया गया शुक्ल होगा वापस
भाषा विश्वविद्यालय की मीडिया प्रभारी डॉ. तनु डंग ने बताया कि परीक्षा में लगातार देरी होने के कारण विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने उक्त एमओयू को रद्द करते हुए विद्यार्थियों की फीस वापस किए जाने का निर्णय लिया. गिरि इंस्टीट्यूट के जनसम्पर्क अधिकारी सीएस वर्मा ने बताया कि संस्थान की ओर से आवेदकों का शुल्क वापस करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.