चंडीगढ़:उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 को लेकर जाट समाज बीजेपी से खफा नजर आ रहा है. जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक अशोक बल्हारा ने 26 जनवरी को दिल्ली में जाट नेताओं और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बैठक को भी फर्जी बताया है. अशोक बल्हारा का दावा है कि उस बैठक में कोई भी जाट नेता या प्रतिनिधी नहीं था. अशोक बल्हारा ने शनिवार को चंडीगढ़ में जाट आरक्षण संघर्ष समिति की प्रेस कॉन्फ्रेंस (Jat Aarakshan Sangharsh Samiti press confrence in chandigarh) कर जाट समाज को यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जवाब देने का आह्वान किया है.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अशोक बल्हारा ने कहा कि जाट समुदाय केंद्र सरकार से पूरी तरह से खफा है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में भी अमित शाह ने ऐसे ही कथित जाट समाज की मीटिंग बुलवाई थी, जिसमे वादा किया गया था कि हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस होंगे और जाटों को केंद्र ओबीसी का आरक्षण दिया जायगा, लेकिन ना तो जाटों को केंद्र में आरक्षण मिला और ना ही केस वापस हुए.
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हरियाणा में जाटों को मिला आरक्षण भी खत्म करवा दिया. अशोक बल्हारा ने कहा कि केस वापसी के सवाल पर केंद्र ने सिर्फ यशपाल मालिक पर दर्ज देशद्रोह का केस खत्म किया, लेकिन बाकि जाटों पर आज भी हजारों मुकदमें चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जाट समाज में भारी रोष है. आज जाट समाज के पास मौका है कि आने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Utter Pradesh Election 2022) में बीजेपी को सबक सिखाया जाए.