लखनऊ:बीते कुछ दिनों से राजधानी में धरना प्रदर्शन कर रहे एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्य संविदा कर्मियों की गुहार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुन ली है. बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय खंडपीठ ने स्वास्थ विभाग के अपर मुख्य सचिव को एमपीडब्ल्यू संविदा को 1 वर्षीय विभागीय प्रशिक्षण दिए जाने को लेकर कोर्ट में तलब किया है. मीडिया प्रभारी सैय्यद मुर्तजा ने बताया 1 वर्षीय प्रशिक्षण की मांग को लेकर न्यायालय विभाग शासन और सरकार मैं अपनी पैरवी कर रहे हैं. उच्च न्यायालय खंडपीठ इलाहाबाद और खंड पीठ लखनऊ, दोनों जगहों पर संविदा कार्मिकों की 46 रिट याचिकाएं प्रचलित हैं.
उन्होंने बताया कि इसमें एक रिट याचिका संख्या 59726/2015 में पारित आदेश दिनांक को विभाग में लागू न करने पर संविदा डब्ल्यू ने न्यायालय के आदेश के क्रम में अवमानना याचिका संख्या 5520/2016 दाखिल की थी. लंबी लड़ाई के बाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अवमानना याचिका संख्या 5520/2016 में अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है. न्यायालय के इस आदेश से संविदा एमपीडब्ल्यू में अपने प्रशिक्षण प्राप्त करने को लेकर आशा की नई लहर उत्पन्न हुई है. उत्तर प्रदेश (कां) एमपीडब्लू संगठन के अध्यक्ष मयंक तिवारी ने बताया कि न्यायालय के आदेश से हम सभी संविदा एमपीडब्ल्यू कर्मी अत्यंत प्रसन्न हैं. वहीं दूसरी तरफ महानिदेशालय परिवार कल्याण परिसर में दूसरे सप्ताह के नवें दिन संविदा एमपीडब्ल्यू कार्मिकों ने अपना सत्याग्रह आंदोलन जारी रखा.
संगठन संरक्षक विनीत मिश्रा ने बताया कि पिछले 7 वर्षों से सेवा पूर्व 1 वर्षीय विभागीय प्रशिक्षण की मांग कर रहे संविदा कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्राप्त न हो सके. इसके लिए विभाग और शासन लगातार कुचक्र रच रहा है. इस संबंध में संविदा कर्मियों द्वारा उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ और खंड पीठ इलाहाबाद दोनों जगह मिलाकर कुल 46 मामले विचाराधीन है. उन्होंने बताया कि जनता के धन का दुरुपयोग शासन के द्वारा किया जा रहा है. जनता के टैक्स के पैसे से संविदा कार्मिकों के विरुद्ध शासन मुकदमा लड़ा रहा है. जो ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक रोगों के नियंत्रण की प्रभावी इकाई हैं. ग्रामीण आबादी को संक्रामक रोगों से बचाव और तमाम बीमारियों का प्राथमिक उपचार इन संविदा कार्मिकों के द्वारा किया जाता है.