लखनऊ: प्रदेश की बिजली कम्पनियों द्वारा दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित बिजली दर प्रस्ताव व स्लैब परिवर्तन के लिए विद्युत नियामक आयोग में मध्यांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से दाखिल याचिका पर सोमवार को आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई हुई. सुनवाई में उपभोक्ता पीके मश्करा ने बिलिंग का मुद्दा उठाते हुए ओपेन एक्सेस की वकालत की, वहीं अनूप मौर्या ने किसानों की दरों में कमी किए जाने, आलोक सिंह ने बिल्डरों व विभागीय कार्मिकों की मिलीभगत से उपभोक्तओं के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया. इसके अलावा एचएस राठौर ने ओपेन एक्सेस क्रॉस सब्सिडी का मुद्दा उठाया. कनिका बलानी ने ग्रामीण, छोटे उपभोक्ताओं की दरों में कमी व प्रयास संस्था ने स्मार्ट मीटर का मुद्दा उठाया.
सुनवाई में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 13,337 करोड़ रुपये निकल रहा है, जिसके आधार पर उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 16 प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए. आयोग दरों में कमी करके जनता को राहत दे. उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण पर कहा कि आयोग यहां बिजली दर की सुनवाई में लगा है, उधर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को बेचने की साजिश की जा रही है.
एक तरफ कहा जा रहा है कि पूर्वांचल डिस्काम में सुधार के लिए अगले पांच वर्षों में आठ हजार 801 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस वर्ष 2020-21 में लगभग 2522 करोड़ खर्च किया जाएगा. ऐसे में पूर्वांचल को बेचने की साजिश क्यों की जा रही है, जबकि टोरेण्ट पावर कम्पनी की विफलता सबके सामने है. सिर्फ पूर्वांचल के लगभग 81 लाख विद्युत उपभोक्तओं की जो कुल जमा सिक्योरिटी ही लगभग 640 करोड़ है, ऐसे में निजीकरण की साजिश का विरोध हो रहा है. केवल उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए निजीकरण का निर्णय उचित नहीं है. इस पर आयोग हस्तक्षेप करे.