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नियामक आयोग में सुनवाई पूरी, बिजली दरों में 16 प्रतिशत की होनी चाहिए कमी: अवधेश कुमार - पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का निजीकरण

यूपी में सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथों में देने का विद्युत कर्मचारी लगातार विरोध कर रहे हैं. इसी को लेकर प्रदेश के कई जिलों में विद्युत कर्मचारियों ने प्रदर्शन भी किया.

बिजली दरों पर नियामक आयोग में पूरी हुई सुनवाई
बिजली दरों पर नियामक आयोग में पूरी हुई सुनवाई

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Published : Sep 28, 2020, 9:35 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 10:28 PM IST

लखनऊ: प्रदेश की बिजली कम्पनियों द्वारा दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित बिजली दर प्रस्ताव व स्लैब परिवर्तन के लिए विद्युत नियामक आयोग में मध्यांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से दाखिल याचिका पर सोमवार को आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई हुई. सुनवाई में उपभोक्ता पीके मश्करा ने बिलिंग का मुद्दा उठाते हुए ओपेन एक्सेस की वकालत की, वहीं अनूप मौर्या ने किसानों की दरों में कमी किए जाने, आलोक सिंह ने बिल्डरों व विभागीय कार्मिकों की मिलीभगत से उपभोक्तओं के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया. इसके अलावा एचएस राठौर ने ओपेन एक्सेस क्रॉस सब्सिडी का मुद्दा उठाया. कनिका बलानी ने ग्रामीण, छोटे उपभोक्ताओं की दरों में कमी व प्रयास संस्था ने स्मार्ट मीटर का मुद्दा उठाया.

सुनवाई में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 13,337 करोड़ रुपये निकल रहा है, जिसके आधार पर उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 16 प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए. आयोग दरों में कमी करके जनता को राहत दे. उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण पर कहा कि आयोग यहां बिजली दर की सुनवाई में लगा है, उधर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को बेचने की साजिश की जा रही है.

एक तरफ कहा जा रहा है कि पूर्वांचल डिस्काम में सुधार के लिए अगले पांच वर्षों में आठ हजार 801 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस वर्ष 2020-21 में लगभग 2522 करोड़ खर्च किया जाएगा. ऐसे में पूर्वांचल को बेचने की साजिश क्यों की जा रही है, जबकि टोरेण्ट पावर कम्पनी की विफलता सबके सामने है. सिर्फ पूर्वांचल के लगभग 81 लाख विद्युत उपभोक्तओं की जो कुल जमा सिक्योरिटी ही लगभग 640 करोड़ है, ऐसे में निजीकरण की साजिश का विरोध हो रहा है. केवल उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए निजीकरण का निर्णय उचित नहीं है. इस पर आयोग हस्तक्षेप करे.

आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने सुनवाई में कहा कि बिजली कम्पनियों की तरफ से अपीलीय प्राधिकरण में मुकदमा दाखिल करने से कुछ नहीं होगा, जबतक कोई फैसला नहीं आता. आयोग अपने हिसाब से कार्रवाई करेगा. चेयरमैन नियामक आयोग ने निजीकरण पर उपभोक्ता परिषद के सवाल पर कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 17(3) के तहत दी गई व्यवस्था में बिजली कम्पनियों को कोई भी निर्णय लेने से पहले आयोग के सामने आना होगा. सभी उपभोक्ताओं की तरफ से उठाई गईं आपत्तियों व सुझावों पर गम्भीरता से विचार करने के बाद आयोग बिजली दर पर अन्तिम निर्णय लेगा.

मध्यांचल कम्पनी पर करारा हमला बोलते हुुए परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि मध्यांचल कम्पनी ने स्वतंत्र रिपोर्ट में लिखा है कि वर्ष 2018-19 में मध्यांचल कम्पनी के अभियन्ताओं ने राजस्व बढ़ाने के लिए 501 करोड़ फर्जी बुकिंग कीं, जो अपने आप में बड़ा मामला है. मध्यांचल के स्वतंत्र ऑडिटर ने कहा कि बिजली कम्पनी का वर्ष 18-19 में कुल घाटा 11 हजार 967 करोड़ था. इसके पहले पावर कार्पोरेशन ने आयोग को बताया था कि 31 मार्च 2016 तक मध्यांचल का कुल घाटा 13 हजार 220 करोड़ है. यह अपने में गोलमाल है.

इसी प्रकार लाइन हानियों के बारे में भी गलत आकड़े दिए गए हैं. सभी कम्पनियों के एआरआर में विभागीय उपभोक्तओं से राजस्व का फिक्स चार्ज व एनर्जी चार्ज का जो ब्रेकअप अलग-अलग दिया गया है, उसमें एनर्जी चार्ज बहुत अधिक दिखाया गया है. जब विभागीय उपभोक्तओं के यहां मीटर ही नहीं लगा तो उनका मीटर यहां तेज कैसे चल रहा है. स्मार्ट मीटर के विद्युत उपभोक्तओं से विद्युत रिकनेक्शन और डिस्कनेक्शन फीस 600 रुपये वसूल की जा रही है. वह असंवैधानिक है, जब कनेक्शन रिमोट से कट रहे हैं तो फीस कैसी.

Last Updated : Sep 28, 2020, 10:28 PM IST

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