लखनऊ: अजीत सिंह हत्याकांड में नामजद आरोपी गिरधारी विश्वकर्मा को सोमवार सुबह पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया गया. गिरधारी पर 1,00,000 रुपये का इनाम घोषित था. जिस तरीके से गिरधारी का एनकाउंटर किया गया उसने विकास दुबे के एनकाउंटर की यादें ताजा कर दी.
एनकाउंटर के बाद पुलिस ने बताया कि अजीत सिंह हत्याकांड में प्रयोग किए गए असलहे की बरामदगी के लिए खरगापुर रेलवे क्रॉसिंग के पास गिरधारी को ले जाया जा रहा था, लेकिन गाड़ी से उतरते ही उसने उप निरीक्षक को घायल कर उसकी सरकारी पिस्टल लूटकर भागने का प्रयास किया. इस दौरान वो पुलिस की जवाबी फायरिंग में मारा गया. हालांकि गिरधारी पुलिस की रिमांड पर था. 13 तारीख से ही इस हत्याकांड को लेकर उससे पूछताछ हो रही थी. 16 फरवरी तक उसकी रिमांड की अवधि थी. गिरधारी के इस एनकाउंटर से सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. 13 तारीख को गिरधारी ने पूछताछ में पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम लिया था. उसकी निशानदेही पर हत्या में प्रयोग किए गए मोबाइल को रविवार को अलकनंदा अपार्टमेंट्स से बरामद किया गया था, लेकिन अब गिरधारी की मौत से इस हत्याकांड में शामिल कई और चेहरे बेनकाब होने से बच गए हैं.
जिस तरीके से इनामी गिरधारी विश्वकर्मा एनकाउंटर में मारा गया और फिर पुलिस ने उसके एनकाउंटर की जो कहानी बताई, वह विकास दुबे के एनकाउंटर से मिलती हुई है. विकास दुबे भी कुछ इसी तरह पुलिस का सरकारी पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश में मारा गया था. गिरधारी के एनकाउंटर के बाद पुलिस भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन इस एनकाउंटर से कुछ लोगों को फायदा भी हुआ है. गिरधारी से अभी पूछताछ के लिए पूरे 30 घंटे बाकी थे. पहले भी उसने पूछताछ में कई बड़े नाम लिए थे.
गिरधारी के एनकाउंटर से आखिर किसे होगा फायदा