लखनऊ:उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. पार्टी हर हाल में सत्ता में वापसी करना चाहती है. इसके लिए टिकट देने से लेकर सहयोगी दलों को सीटें देने तक के हर फैसले पर भाजपा ने खासा मेहनत की है. साफ सुथरे चेहरों पर पार्टी ने दांव लगाया है तो सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए अपने सहयोगी दलों पर भरोसा भी जताया है. भाजपा ने इस बार एक दर्जन से ज्यादा सीटें सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) व निषाद पार्टी की झोली में डाली है, जहां भाजपा का ही विधायक था. यही कारण है कि गठबंधन दलों को पिछली बार से भी ज्यादा सीटें मिली हैं.
संजय निषाद की निषाद पार्टी अब तक 14 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है. इनमें 5 सीटें ऐसी हैं जहां पर जो 2017 में भाजपा के प्रत्याशी जीते थे. इनमें कुशीनगर की खड्डा विधानसभा सीट जहां पर 2017 के चुनाव में भाजपा के जटाशंकर त्रिपाठी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार निषाद पार्टी के खाते में गयी है, जहां पर विवेकानंद को प्रत्याशी बनाया गया है. इसी तरह चौरी चौरा, मेहन्दावल, सुल्तानपुर व कालपी सीट पर भी भाजपा का ही विधायक है, लेकिन 2022 के चुनाव में भाजपा ने निषाद पार्टी को ये सीट दे दी है.
इसी तरह 2017 में 11 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली अपना दल (एस) अब तक 15 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और माना जा रहा है कि वो 18 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली हैं. जिन 15 सीटों के लिए अनुप्रिया टिकट दे चुकी हैं, उनमें 9 सीटे भाजपा की जीती हुई है. जिनमें चित्रकूट की मानिकपुर, प्रयागराज की बारा, कौशाम्बी की चायल, मऊरानीपुर, बिंदकी, बहराइच की नानपारा, कानपुर की घाटमपुर, रायबरेली की बछरावां व फरुखाबाद की कायमगंज सीट हैं.