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लखनऊ: भत्तों की कटौती पर कर्मचारियों में आक्रोश, 19 मई को करेंगे विरोध

महंगाई भत्ता सहित अन्य भत्तों को समाप्त करने को लेकर कर्माचारी मंगलवार को विरोध जताएंगे. इसके लिए वह हाथों में काला फीता बांधकर अपना विरोध प्रकट करेंगे. इसके साथ ही वह पीएम और सीएम को मेल कर इसका विरोध करेंगे.

कर्मचारियों में आक्रोश
कर्मचारियों में आक्रोश

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Published : May 18, 2020, 8:42 PM IST

लखनऊ: महंगाई भत्ता सहित 6 तरह के भत्तों को खत्म करने को लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है. इसके विरोध में तमाम कर्मचारी संगठन 19 मई को हाथों में काला फीता बांधकर कर इसका विरोध करेंगे. इसके साथ ही पीएम और सीएम को मेल भी करेंगे. हालांकि लॉकडाउन के चलते विरोध के दौरान काम का बहिष्कार नहीं किया जाएगा. सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाएगा. कर्मचारी नेताओं ने सरकार के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान शांतिपूर्ण ढंग से विरोध किया जा रहा है.

विरोध में कई कर्मचारी संगठन हुए एक साथ
इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के आह्वान पर सोमवार को कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से घोषित आंदोलन कार्यक्रम के दूसरे चरण की तैयारी के लिए लखनऊ के विभिन्न कार्यालयों में संपर्क किया गया है. साथ ही सभी संगठनों के पदाधिकारियों से फोन पर बात कर के रणनीति तैयार की गई. भत्तों को खत्म किए जाने के विरोध में कई संगठन एक साथ मंच पर आ गए हैं.

इन विभागों के कर्मचारी संगठन जताएंगे विरोध
भत्ते खत्म किए जाने के विरोध में कई सरकारी विभाग के कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है. इसके खिलाफ मंगलवार के दिन आक्रोश जाहिर किया जाएगा. कर्मचारी नेताओं ने बताया कि इस विरोध में वन विभाग, लोहिया अस्पताल, लोहिया संस्थान, केजीएमयू, एसजीपीजीआई, सिविल हॉस्पिटल, बलरामपुर हॉस्पिटल, रोडवेज कृषि गन्ना विभाग वाणिज्य कर सिंचाई विभाग सूचना आदि कार्यालयों में कर्मचारियों से बात की गई है. यह सभी कर्मचारी ड्यूटी के दौरान हाथों में काला फीता बांधेंगे. साथ ही सभी कर्मचारी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय को ट्विटर पर और ईमेल कर आंदोलन छेड़ेंगे.

कर्मचारियों के प्रति सरकार का नकारात्मक रवैया
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें पुरस्कृत करने के बजाय उनके अधिकार खत्म कर दिए गए. कर्मचारियों के प्रति सरकार का यह रुख नकारात्मक सिद्ध हो रहा है. भत्तों की कटौती निश्चित ही अत्यंत पीड़ादायक है. कर्मचारी खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं.

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