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लखीमपुर: सरकारी अस्पताल की ऐसी डेंटल कुर्सी जिसे देख शरमा जाएगा विकास!

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में जिला अस्पताल के डेंटल विभाग में डेंटल कुर्सी बदहाल स्थिति में है. सालों से सर्जरी चेयर नॉन वर्किंग है. इसकी वजह से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

डेंटल विभाग में डेंटल चेयर की बदहाल स्थिति

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Published : Oct 17, 2019, 10:53 AM IST

लखीमपुर: यूपी के लखीमपुर खीरी में जिला अस्पताल के डेंटल विभाग की कुर्सी बरसों से टूटी है. इस टूटी कुर्सी ने यूपी के राजनेताओं के विकास के बड़े बड़े दावों की पोल खोल दी है. डॉक्टर का कहना है कि सर्जरी चेयर न होने से यहां सर्जरी हो नहीं पाती है. सालों से सर्जरी चेयर'नान वर्किंग' है.

डेंटल विभाग में डेंटल चेयर की बदहाल स्थिति.


खीरी जिले की 45 लाख आबादी को डेंटल सेवाएं देने के लिए जिला अस्पताल में डेंटल विभाग की डेंटल चेयर करीब चालीस साल पुरानी है. तब से इसके सारे पुरजे हिल चुके हैं. डेंटल विभाग पहले पुरानी बिल्डिंग में हुआ करता था. डेंटल चेयर को चार साल पहले नई बिल्डिंग मिल गई लेकिन सर्जरी का साजो सामान वही चालीस साल पुराना ही रह गया है.

टूटा है हैंडिल, सर रखने को भी जगह नहीं
डेंटल विभाग में ओटी बनी है लेकिन सालों से यहां न आरसीटी हुई न ही कोई ऑपरेशन. डेंटल चेयर ही न होने मरीजों के इलाज में भी दिक्कतें आती है. हाथ रखने को हैंडिल टूटा पड़ा है. सर रखने की कोई जगह नहीं है.


करोड़ों खर्च पर ये है हाल
स्वास्थ्य विभाग करोड़ों रूपया पब्लिक हेल्थ पर खर्च करता है. डेंटल विभाग में नान वर्किंग चेयर पर बरसों से इलाज चल रहा है. मरीज सिर्फ आते हैं दवा लिखाकर चले जाते हैं. डॉक्टर भी साधारण वाली चेयर पर बैठे बैठे टॉर्च और मिरर से मरीजों को देख लेते हैं.

कमिश्नर ने किया था दौरा, तत्काल डेंटल चेयर बदलने के दिए थे आदेश
चार दिन पहले ही लखनऊ मंडल के कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने जिला अस्पताल की सेहत चेक की तो ये डेंटल चेयर ही आईसीयू में पड़ी मिली थी. कमिश्नर ने डीएम,सीडीओ के सामने सीएमएस को फटकार लगाई थी. आदेशित किया था कि जेम पोर्टल से डेंटल चेयर तुरंत खरीदी जाए. कमिश्नर तो यहां तक बोल गए थे कि प्राइवेट वालों से आप लोगों का कमीशन तो नहीं बंधा. कमिश्नर के आदेश पर चार दिन बाद भी अमल नहीं हुआ.

चेयर न होंने से तकलीफ है. तीन साल तैनाती के हो गए. हर दो तीन महीने सीएमएस को चेयर के लिए पत्र भेजते हैं पर नतीजा कोई नहीं आता तीन साल में 20 से ज्यादा रिमाइंडर भेज चुके है.

भीमेन्दु गौतम, डेंटल सर्जन

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