लखनऊ: यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बुनकरों के लिए 2006 से चली आ रही बिजली के बिल की फ्लैट रेट योजना को सरकार तत्काल बहाल करे. 2020 में फ्लैट रेट योजना की समाप्ति व मीटर रीडिंग के आधार पर प्रतिपूर्ति योजना का प्रावधान बुनकरों के साथ धोखा है. मीटर रीडिंग आधारित प्रतिपूर्ति योजना से पावरलूम सेक्टर एवं बुनकरों को व्यापक आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही थी. आर्थिक मंदी और कोविड-19 के संकट के बाद यह बदहाली और बढ़ गई है. इससे इस व्यवसाय से जुड़े हुए लाखों बुनकर एवं उनके परिवार भुखमरी की कगार पर हैं. तमाम बुनकरों को अपना पावरलूम बेचकर रिक्शा चलाकर अपने परिवार का जीवन यापन करना पड़ रहा है.
चीन की वजह से हो रहा नुकसान
अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी आर्थिक मंदी के चलते व कोविड-19 के दौर में प्रदेश का वस्त्र उद्योग बिलकुल बन्द हो गया है. 18वीं सदी से 20वीं सदी तक विश्वभर में भारतीय वस्त्र का निर्यात 25 प्रतिशत था. अब वह घटकर 2 प्रतिशत रह गया है. इसका मुख्य कारण चीन द्वारा अपने वस्त्र उद्योग को भारी प्रोत्साहन देना है. इसके साथ-साथ हमारे देश-प्रदेश के वस्त्र उद्योग में चीन में निर्मित सस्ते व कम गुणवत्ता वाले वस्त्र और धागों ने घुसपैठ कर ली है. कम गुणवत्ता और सस्ते धागों से मुकाबला हमारे बुनकर और वस्त्र उद्योग नहीं कर पाए हैं. महंगे दामों पर बिजली उपलब्ध होने के कारण हमारा वस्त्र उद्योग दमतोड़ रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो केंद्र और प्रदेश सरकार व्यापक पैमाने पर चीन निर्मित उत्पादों के बहिष्कार एवं पूर्ण प्रतिबन्ध की घोषणा करती है. इसके उलट हकीकत में सरकार हमारे घरेलू कुटीर उद्योगों को संरक्षण देने के बजाय चीनी उत्पादों को संरक्षण देने की अघोषित नीति पर काम कर रही है. सरकार को इस दोहरे चरित्र से निकल कर अपने प्रदेश के गरीब और मजलूम बुनकर भाइयों के साथ खड़ा होना चाहिए. उन्हें संरक्षण देना चाहिए.
शासन ने दिया झूठा आश्वासन
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि शासन ने बुनकर प्रतिनिधियों से वार्ता कर फ्लैट रेट को बहाल करने का आश्वासन दिया था. अभी तक उस आश्वासन को सरकार ने पूरा नहीं किया है. मजबूर होकर आज उत्तर प्रदेश के बुनकरों ने वाराणसी, अम्बेडकर नगर आदि जनपदों में आन्दोलन कर अपनी आवाज उठायी है. कांग्रेस बुनकरों की मांग का पुरजोर समर्थन करती है और उत्तर प्रदेश सरकार से यह मांग करती है कि मीटर रीडिंग आधारित बिजली बिल के बजाय पूर्व में लागू फ्लैट रेट योजना को बहाल किया जाए.