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लखनऊ: गायत्री प्रसाद प्रजापति की केजीएमयू भेजने की अर्जी कोर्ट ने की खारिज - गायत्री की अर्जी कोर्ट ने की खारिज

पूर्व कैबिनेट मंत्री और दुष्कर्म के आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से अपने इलाज के लिए केजीएमयू भेजने की एक अर्जी दी गई. कोर्ट ने केजीएमयू भेजने की अर्जी को खारिज कर दिया.

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अगली सुनवाई के 31 जनवरी को तय.

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Published : Jan 19, 2020, 6:17 AM IST

लखनऊ: एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने सामुहिक दुष्कर्म व जानमाल की धमकी के मामले में सुनवाई की अगली तारीख तय की है. पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य अभियुक्तों के मामले में अगली सुनवाई के 31 जनवरी को होगी. शनिवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान गायत्री व अन्य सभी अभियुक्त भी अदालत में हाजिर थे. अदालत में गायत्री को व्हील चेयर पर लाया गया था. अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान गायत्री की ओर से अपने इलाज के लिए केजीएमयू भेजने की एक अर्जी दी गई. हालांकि कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया.

विशेष अदालत ने पिछली दो तारीखों पर गायत्री प्रसाद प्रजापति को पेश नहीं करने पर सख्त रुख अख्तियार किया था. अदालत ने गायत्री की बीमारी के बाबत केजीएमयू व जेल अधीक्षक से भी रिपोर्ट तलब किया था. पूछा था कि गायत्री को क्या बीमारी है. बीते दो जनवरी को इस आदेश के अनुपालन में गायत्री की बीमारी के बाबत केजीएमयू की ओर से अदालत में एक रिपोर्ट पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि गायत्री को शुगर, युरिन इन्फेक्शन, पीठ दर्द, बुखार तथा सर्दी व जुकाम की बीमारी है. सात माह से उनकी इस बीमारी का इलाज चल रहा है.

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अदालत ने केजीएमयू की इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ जेल अधीक्षक से पूछा था कि क्या गायत्री का इलाज जेल अस्पताल में नहीं हो सकता, लेकिन उनकी ओर से कोई रिपोर्ट पेश न करने पर अदालत ने उन्हें तलब कर लिया था, जिसके बाद बीते शुक्रवार को गायत्री को केजीएमयू से डिस्चार्ज कराकर जेल लाया गया.

वहीं पीड़िता की सबसे बड़ी बेटी की ओर से भी एक अर्जी देकर अपना बयान फिर से दर्ज कराने की मांग की गई थी. विशेष अदालत ने इस अर्जी को भी खारिज कर दिया. दरअसल 8 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में सामुहिक दुष्कर्म, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश चित्रकूट की रहने वाली पीड़िता की अर्जी पर दिया था.

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