लखनऊ:हाल ही में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आजमगढ़ संसदीय सीट को छोड़ करहल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का फैसला लिया और उन्होंने अपना त्यागपत्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दिया था. वहीं, अखिलेश के इस दांव ने आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बात करें तो मुस्लिमों का सिर्फ तीन फीसद वोट ही कांग्रेस को मिल पाया है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को मुस्लिमों का साथ नहीं मिला था. ऐसे में 80 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर ही कांग्रेस को जीत मिली थी.
दरअसल, मुस्लिमों को लेकर कांग्रेस को हमेशा से ही यह उम्मीद रही है कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम कांग्रेस पार्टी का ही साथ देंगे. हाालंकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा होता भी रहा, लेकिन इस बार अखिलेश यादव विधानसभा में रहकर यूपी में मुस्लिमों को अपने साथ ही साधे रखने में सफल हो सकते हैं. लिहाजा, जो मुस्लिम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए वोट करते थे, उनके अबकी अखिलेश के साथ रहने की अधिक उम्मीद है. विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से इस बार 33 मुस्लिम विधायक बने हैं. ऐसे में कांग्रेस की उम्मीदों पर मुस्लिम वोटर्स को लेकर पानी फिरता नजर आ रहा है.
कांग्रेस पार्टी के लिए अब सिर्फ समाजवादी पार्टी ही मुश्किल खड़ी नहीं कर रही है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी भी मुसीबतों में इजाफा कर रही है. अब मुस्लिमों का वोट भारतीय जनता पार्टी को भी मिलने लगा है. लगातार भाजपा का मुस्लिम वोटों का ग्राफ बढ़ रहा है. इस विधानसभा चुनाव में भी आठ फीसद मुस्लिमों का वोट लेने में भाजपा सफल हुई है. ऐसे में कांग्रेस के लिए रास्ते और मुश्किल होते जा रहे हैं.