लखनऊ :सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में लगभग 200 से अधिक शोध छात्र एवं वैज्ञानिक शामिल हुए. कार्यक्रम का आयोजन 'जिज्ञासा प्रोग्राम' के अंतर्गत किया गया. जिसका उद्देश्य औषधीय अनुसंधान के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता को प्रदर्शित करना था. जिज्ञासा कार्यक्रम के समन्वयक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव ने मुख्य वक्ता शुभम आर. लोंढे, वरिष्ठ सॉफ़्टवेयर इंजीनियर वामस्टर, यूके एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विषय विशेषज्ञ और ट्रेनर का परिचय दिया एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके रथ ने उनका पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया.
शुभम लोंढे ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की विकास यात्रा का संक्षेप में विवरण दिया और उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोज़मर्रा के कामकाज में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भलीभांति हमारी दैनिक गतिविधियों की निगरानी कैसे करता है, जिससे बेहतर निर्णय लेने की प्रक्रियाएं संभव होती हैं. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर आमजन में फैली भ्रामकता एवं संदेह कि एआई की वजह से लोगों कि नौकरियां चली जाएंगी को बेहद तर्कसंगत तरीके से दूर करने का प्रयास किया. कुछ हैंड्स-ऑन टूल का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे एआई कम समय मे किसी प्रोजेक्ट को तैयार करने में एक बेहद मूल्यवान उपकरण सहायक सिद्ध हो सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हम कम समय मे कई काम कर सकते है.
इसके अलावा उन्होंने अनेक मुफ्त एवं सुरक्षित एआई टूल की एक शृंखला के बारे में भी जानकारी प्रदान कि जिनके माध्यम से अनेक कठिन कामों को आसानी से कम समय में पूरा किया जा सकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग मानवों का प्रतिस्थापन करने में नहीं है, बल्कि उनकी क्षमताओं एवं रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाने में है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस औषधि विकास में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, विशेष रूप से दवा तैयारी की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने में शुभम ने अनेक मुफ्त एवं सुरक्षित एआई टूल की एक शृंखला के बारे में भी जानकारी प्रदान कि जैसे कि ओपनएआई के चैटजीपीटी, मिडजर्नी, टोम, कैनवा और ह्यूमाटा आदि मुख्य रूप से शामिल थे.