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Published : Feb 29, 2020, 7:15 AM IST

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सोनम हत्याकांड: सिपाही को उम्रकैद, साक्ष्य छिपाने के आरोपी सीओ को 5 साल का कारावास

सीबीआई के विशेष जज प्रदीप सिंह ने लखीमपुर खीरी में हुए नाबालिग की हत्या के मामले में सिपाही अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही साक्ष्य मिटाने के दोषी तत्कालीन सीओ इनायत उल्लाह खां को भी पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

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सोनम हत्याकांड में सिपाही को उम्रकैद.

लखनऊ:सीबीआई के विशेष जज प्रदीप सिंह ने लखीमपुर खीरी के निघासन थाना परिसर में नाबालिग की हत्या के मामले में सिपाही अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त को हत्या के मामले में उम्रकैद व 80 हजार रुपये जुर्माना, जबकि साक्ष्य मिटाने में पांच साल व 20 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है. इसके साथ ही साक्ष्य मिटाने के दोषी तत्कालीन सीओ इनायत उल्लाह खां को भी पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने उस पर भी 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

सीबीआई की विशेष अदालत ने 24 फरवरी को दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया था, जबकि साक्ष्य के अभाव में इस मामले के दो अन्य आरोपी सिपाही शिवकुमार व उमाशंकर को बरी कर दिया था. बरी किए गए सिपाहियों के वकील बीडी मिश्रा के मुताबिक अदालत ने इन दोंनो के बंधपत्र व प्रतिभूति उन्मोचित कर दिए हैं.

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सीबीआई के लोक अभियोजक दीप नारायन के मुताबिक पहले इस मामले की जांच सीबीसीआईडी कर रही थी. सीबीसीआईडी ने अपनी जांच के बाद लखीमपुर खीरी की अदालत में निघासन के तत्कालीन सीओ इनायत उल्लाह खां को छोड़कर अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, लेकिन बाद में सीबीआई ने अपनी जांच में सीओ के गनर रहे अतीक के खिलाफ सिर्फ हत्या व साक्ष्य मिटाने का ही आरोप पाया. साथ ही सीओ इनायत उल्लाह खां के खिलाफ भी साक्ष्य छिपाने का आरोप पाया.

सीबीआई ने अपनी विवेचना के बाद सीओ इनायत उल्लाह खां व सिपाही शिवकुमार व उमाशंकर के विरुद्ध साक्ष्य मिटाने, जबकि सीओ के गनर रहे अतीक अहमद के खिलाफ हत्या व साक्ष्य मिटाने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था.

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20 मई 2015 को हाई कोर्ट ने सीबीआई की एक अर्जी पर इस मामले की सुनवाई लखनऊ की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दी थी. हाई कोर्ट के इस आदेश के अनुपालन में 28 जुलाई 2015 को इस मामले की पूरी पत्रावली लखीमपुर खीरी की सत्र अदालत से लखनऊ की विशेष अदालत को प्राप्त हुई.

दरअसल, 10 जून 2011 को तरन्नुम ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक उनकी नाबालिग पुत्री सोनम भैंस चराने गई थी. इस दौरान भैंस चरते हुए थाने के अंदर चली गई. काफी समय बाद भी जब उनकी बेटी वापस नहीं लौटी, तो उसकी तलाश की जाने लगी. तालाश के दौरान उनकी बेटी की लाश पेड़ की डाल में सफेद दुपट्टे से लटकी मिली. उन्होंने बेटी के साथ बलात्कार की भी आशंका जाहिर की थी. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी.

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