लखनऊ : राजधानी के बादशाहनगर के एक कॉम्प्लेक्स में मौजूद बैटरी की दुकान में ब्लास्ट होने पर आग लग गई. इस अग्निकांड में एक युवक जिंदा जल गया, लेकिन किसी तरह 25 लोगों को मौत के मुहाने से निकाला गया. इस बिल्डिंग में न ही अग्निशमन उपकरण मौजूद थे और न ही फायर एग्जिट के वैकल्पिक मार्ग. इस कॉम्पलेक्स के अलावा राजधानी की अधिकतर बिल्डिंगों और दुकानों आदि में आग से निपटने की पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. कई बार राजधानी में आग लगने के बड़े हादसे हो चुके हैं. इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग नींद से नहीं जाग रहा है.
हादसों से भी नहीं ले रहे सबक :चौक, अमीनाबाद, यहियागंज, नक्खास, गुरुनानक मार्केट, नाजा, प्रिंस मार्केट और चारबाग एरिया में बनी करीब 16 हजार से अधिक दुकानें फायर के मानकों की अनदेखी कर चल रही हैं. कारोबारियों के अनुसार बाजारों में बिजली के जर्जर तार बदले नहीं जा रहे हैं. फायर ब्रिगेड के अधिकारी भी इस समस्या को मान चुके हैं. रोज इन बाजारों में 5 लाख के करीब लोग आते हैं. तीन साल पहले मुमताज मार्केट में आग लगने से करोड़ों का नुकसान हुआ था और जनहानि भी हुई थी. इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग नहीं चेत रहा है.
शहर हुईं बड़ी दुर्घटनाएं. ये विभाग हैं जिम्मेदार : राजधानी में हुए इन अग्निकांड के पीछे कई विभाग जिम्मेदार हैं, जो हर बार घटना होने पर सक्रिय नजर आते है और फिर आंख मूंद लेते हैं. कोचिंग काम्प्लेक्स में बिजली के तारों का जाल फैला है. बिजली विभाग की जिम्मेदारी इन्हें ठीक करने की है, लेकिन विभाग कभी निरीक्षण करने नहीं पहुंचता. किसी भी बिल्डिंग में निर्माण कार्य व लाइसेंस चेक करना नगर निगम व एलडीए की जिम्मेदारी होती है. समय समय पर वह चेकिंग करें तो बिल्डिंग के हालत का खुलासा हो सकता है. जिला प्रशासन की ओवर ऑल जिम्मेदारी है. कोई भी बिल्डिंग रहने लायक है या कामर्शियल बिल्डिंग में मानकों को पूरा गया है या नहीं. कामर्शियल-रेजीडेंशियल बिल्डिंग के सुरक्षा मानकों व फायर की जिम्मेदारी फायर डिपार्टमेंट की है. हालांकि फायर डिपार्टमेंट ने करीब 300 ऐसी बिल्डिंग संचालकों को नोटिस भेजा है.
यह होने चाहिए काॅमर्शियल बिल्डिंग के लिए मानक : काॅमर्शियल बिल्डिंग के लिए मानक तय किए गए हैं. इनमें सैट बैक (मोटरेबल), सैट बैक (भवन की ऊंचाई के हिसाब से वर्किंग स्पेस), फायर एग्जिट, पलायन मार्ग की स्पष्टता, पलायन मार्ग की डिस्टेंस, वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था, आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था और बेसमेंट में रैंप की व्यवस्था होनी आवश्यक है. वहीं बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए फायर एक्सटिंग्यूशर, डाउन कमर सिस्टम, यार्ड हाईडेंट सिस्टम, आटोमेटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम, आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम, मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम, अंडरग्राउंड वाटर टैंक और ओवरहेड वाटर टैंक होने चाहिए.मुख्य अग्निशमन अधिकारी मंगेश कुमार बताते है कि सरकार फायर सेफ्टी को लेकर गंभीर है. इसी के तहत अधिनियम में बदलाव करते हुए मॉडल एक्ट लागू किया गया है. लेवाना अग्निकांड के बाद से ही नए सिरे से ऐसी बिल्डिंग का चिन्हीकरण किया गया है, जो फायर सेफ्टी को दरकिनार करते हैं. मंगलवार को जिस बिल्डिंग में आग लगी थी, वहां क्या क्या उपकरण लगे थे. फायर सेफ्टी के लिए व्यवस्था थी कि नहीं इसकी जांच की जा रही है. अगर जांच में खामियां पाई जाती हैं तो बिल्डिंग को सीज करने की कार्रवाई की जाएगी.
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