लखनऊः हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग समेत केंद्र और राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है. अगले एक सप्ताह में याचिकाकर्ता को उत्तर दाखिल करना होगा.
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने वर्ष 2013 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिकाकर्ता के अनुसार न्यायालय ने पूर्व के आदेश में चुनाव आयोग समेत केंद्र और राज्य सरकारओं को जातीय रैलियों के विरुद्ध गाइडलाइंस बनाने का आदेश दिया था. याचिकाकर्ता ने बताया कि अब तक न तो आयोग की ओर से और न ही केंद्र अथवा राज्य सरकार की ओर से गाइडलाइंस बनाई गई हैं.
उन्होंने कहा कि इस बार न्यायालय ने अपने इसी आदेश के अनुपालन के सम्बंध में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है. इसके पूर्व न्यायालय इस मामले में प्रदेश के चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नई नोटिसें जारी करने का आदेश 11 नवंबर 2022 दे चुकी है. हालांकि इन दलों की ओर से कोई भी सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हुआ. वर्ष 2013 में भी उक्त राजनीतिक दलों को नोटिस जारी हुई थी.
उल्लेखनीय है कि उक्त जनहित याचिका में प्रदेश में जातीय रैलियों पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई है. याचिका पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने 11 जुलाई 2013 को प्रदेश में राजनीतिक दलों द्वारा जाति आधारित रैलियां किए जाने पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा था कि जातीय सिस्टम समाज को विभाजित करता है. इससे भेदभाव उत्पन्न होता है. न्यायालय ने यह भी कहा था कि जाति आधारित रैलियों को अनुमति देना संविधान की भावना, मौलिक अधिकारों व दायित्वों का उल्लंघन है.
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