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यूपी के बिल्डर 'दिवालिया', असलियत कुछ और! RC से बनेगा काम?

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने बिल्डरों से बकाया रकम वसूलने के लिए रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी किया है. इसके बावजूद पूरी रकम वापस नहीं हो पा रही है. करीब 600 रुपये की धनराशि बकाया है.

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Published : Apr 26, 2022, 1:35 PM IST

Updated : Apr 26, 2022, 2:53 PM IST

लखनऊ: 600 करोड़ रुपये की रिकवरी रेरा उत्तर प्रदेश में बिल्डरों से नहीं ले पा रहा है. रेरा ने इसके लिए आरसी भी जारी की है. इस संबंध में मुख्य सचिव दुर्गा प्रसाद शुक्ला भी सख्त हैं. उन्होंने ऐसे मामलों पर नजर रखने और किसी भी तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए हर स्तर पर सख्त हिदायत दी है. वहीं, अधिकतर बिल्डर खुद को दिवालिया घोषित कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने विभिन्न बिल्डरों से 1,500 करोड़ से अधिक की बकाया रकम वसूलने के लिए रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी किया है. अलग-अलग जिलों में जिला प्रशासन ने कुछ बिल्डरों की संपत्ति को कुर्क किया है, लेकिन इसके बावजूद पूरी रकम वापस नहीं हो पा रही है. करीब 600 रुपये की धनराशि बकाया है. रेरा प्रशासन ने बिल्डरों को चेतावनी दी है कि अगर पूरी रकम नहीं मिली तो उनके बैंक खाते व कार्यालय भी सील किए जाएंगे.

इसमें करीब 1,000 करोड़ की आरसी जनपद गौतमबुद्ध नगर में सक्रिय बिल्डरों की है. जिला प्रशासन वसूली के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. बिल्डर पक्ष द्वारा पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. बिल्डरों द्वारा पैसे नहीं दिए जाने के बाद 44 बिल्डरों की 309 संपत्तियों को कुर्क किया जा चुका है. इनकी कीमत करीब 382 करोड़ की है. कुर्क संपत्ति से आरसी की वसूली पूरी नहीं हो पा रही है. बिल्डर यह मानकर बैठ गए हैं कि उनकी संपत्ति कुर्क हो गई है तो आरसी में आगे की कार्रवाई नहीं होगी. इसके बावजूद बिल्डरों को आरसी का पैसा देना होगा. अगर बिल्डर पैसा नहीं देते हैं तो उनके ऑफिस और बैंक खातों को सील कर दिया जाएगा. जिला प्रशासन ने सभी बिल्डरों को नोटिस भेजकर इस बारे में सूचित कर दिया है.

रीयल एस्टेट सेक्टर के कई प्रमुख बिल्डर दिवालिया होने का दावा कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में भी दिवालिया हो रहे बड़े बिल्डरों की लिस्ट लंबी होती जा रही है. इसकी शुरुआत आम्रपाली समूह के दिवालिया होने से हुई थी. कुछ वर्षों के दौरान नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के एक दर्जन से अधिक बड़े-छोटे बिल्डरों को दिवालिया घोषित करने का आदेश जारी किया है. यूनिटेक, सहारा, जेपी जैसे बड़े बिल्डर देखते ही देखते दिवालिया घोषित हो गए.

एनसीएलटी ने सुपरटेक बिल्डर और लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ के खिलाफ आदेश जारी करते हुए दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है. लखनऊ में भी रोहतास, पार्श्वनाथ जैसे बिल्डर भी दिवालिया घोषित किए जा चुके हैं. बिल्डरों के दिवालिया घोषित होने का सबसे बड़ा खामियाजा आवंटी को उठाना पड़ रहा है.

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बिल्डर खुद को दिवालिया घोषित करके आवंटन का बकाया देने में खुद को असमर्थ बता रहे हैं. लोग सरकारीकरण में फंसे हुए हैं. रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने बताया कि निश्चित तौर पर दिवालिया होने की प्रक्रिया में आवंटियों के नुकसान का भी ख्याल रखा जा रहा है. कंपनियों के दिवालिया होने की प्रक्रिया पर सख्त निगाह रखी जा रही है. किसी भी आवंटी का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. शासन भी इस संबंध में सख्त है.

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Last Updated : Apr 26, 2022, 2:53 PM IST

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