लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती मौजूदा परिस्थितियों को भांपकर स्पष्ट नीतियों के साथ आगे बढ़ रही हैं. जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के फैसले पर जहां पूरा विपक्ष असमंजस की स्थिति में था, वहीं मायावती ने इस प्रकरण पर अपनी स्पष्ट नीति सामने रखी. उन्होंने मोदी सरकार के इस फैसले का खुलकर स्वागत किया. वहीं अब मायावती ने अल्पसंख्यक मतदाताओं को रिझाने के लिए मुनकाद अली को यूपी बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
2012 के विधानसभा चुनाव में हार से लेकर 2019 तक बसपा ने कई उतार चढ़ाव देखे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत सकी वहीं साल 2019 में सपा के साथ मिलकर लड़े गए लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिलीं. हालांकि चुनाव जीतने के बाद बसपा ने सपा पर आरोप लगाते हुए गठबंधन से किनारा कर लिया था.
अनुच्छेद 370 पर दिया स्पष्ट समर्थन
केंद्र सरकार की ओर से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सभी पार्टियां असमंजस की स्थिति में दिखीं. वहीं बसपा ने स्पष्ट नीतियों के तहत इस फैसले का समर्थन किया. एक ओर सपा ने जहां सदन में कुछ और तो सदन से बाहर कुछ और ही कहा. वहीं कांग्रेस इस मसले को लेकर दो फाड़ में बंट गई. यहां तक कि रायबरेली सीट से विधायक अदिति सिंह ने केंद्र सरकार के इस फैसले को राष्ट्र हित में लिया गया फैसला करार दिया. वहीं लोकसभा में बसपा नेता दानिश अली पार्टी लाइन पर उतना प्रभावी ढंग से संदेश नहीं दे सके, जिसको लेकर उन्हें सदन में नेता बसपा का पद खोना पड़ा.
पार्टी में फेरबदल के पीछे की रणनीति
बसपा अध्यक्ष मायावती ने दानिश अली को सदन में नेता बसपा के पद से हटाकर जौनपुर से बसपा सांसद श्याम सिंह यादव को बसपा दल का नेता बना दिया. हालांकि पार्टी ने दलील देते हुए कहा कि श्याम सिंह यादव पिछड़े समाज से आते हैं, इसलिए उनका चयन किया गया है. बसपा 'सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय' के विचार के आधार पर काम कर रही है, इसलिए पार्टी के विभिन्न पदों पर सभी समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व दिखना चाहिए.