लखनऊ : राज्य की जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी बंद हैं. उत्तर प्रदेश की आदर्श कारागार (Adarsh Karagar Lucknow) मात्र एक ऐसी जेल है, जहां अच्छे आचरण वाले सजायाफ्ता कैदियों को रखा जाता है. यहां के कैदियों को जेल से बाहर काम करने की सुविधा के अलावा कारागार में संचालित हो रहे कई उद्योगों में काम कर कमाई का मौका मिलता है. लेकिन, इस जेल में भी अब क्षमता से अधिक कैदी हो गये हैं. हालत यह है कि यहां क्षमता से दोगुने कैदी बंद हैं. छोटे-छोटे मामलों में न्यायिक हिरासत वाले बंदियों को रखने में भी मुश्किल हो रही है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश पर यूपी के जेलों (UP Jail) समेत आदर्श कारागार से भी बंदी छोड़े गये. इससे पहले गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस पर ही अच्छे आचरण और बुजुर्ग कैदियों की रिहाई की जाती रही है.
उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल में बड़ा बदलाव, मॉडर्न जेल में बंद कैदी साल में 7 बार होंगे आजाद - Jail Manual
सूबे की राजधानी स्थित आदर्श कारागार (Adarsh Karagar Lucknow) सुधारात्मक जेल है. यहां अच्छे आचरण के साथ लंबी सजा काट चुके आदर्श कैदियों की अब साल में सात बार रिहाई होगी. इसके लिए शासन ने वर्षों पुराने जेल मैनुअल (Jail Manual) में बदलाव किया है. अभी तक उत्तर प्रदेश में सिर्फ गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस पर ही कैदियों की रिहाई की जाती थी.
DG जेल आनंद कुमार (DG Jail Anand Kumar) ने बताया कि अब साल में दो बार नहीं बल्कि साल में 7 बार कैदियों की रिहाई की जाएगी. जेल विभाग की ओर से शासन को एक रिपोर्ट भेजी गयी है, जिसमें बताया गया कि जेलों में निरुद्ध एक तिहाई बंदी ऐसे हैं, जो अपनी सजा का लंबा वक्त जेल में गुजार चुके हैं. उनका आचरण भी संतोषजनक है लेकिन रिहाई के लिए बनायी गयी नियमावली में इन्हें आजाद करने की प्रक्रिया जटिल है. इसमें बदलाव करके जेल के हालात में सुधार किया जा सकता है. इस रिपोर्ट के आधार पर शासन ने नियमावली में बदलाव कर कैदियों की रिहाई साल में सात बार किये जाने का नया आदेश जारी कर दिया है.
इसे भी पढ़ें- जेल अपराधियों के लिए जेल सरीखे ही रहेंगे, आरामगाह नहींः सीएम योगी