लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती प्रकरण में आरक्षण घोटाले के आरोपों को बेसिक शिक्षा मंत्री ने सिरे से खारिज कर दिया है. बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी का कहना है कि इस भर्ती में सामान्य वर्ग के लिए करीब 34600 पद थे. इसमें भी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को करीब 20,301 पद मिले हैं. अन्य पदों पर ओबीसी एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है. उन्होंने कहा कि आरक्षण घोटाले के आरोप पूरी तरह से गलत है. कुछ अभ्यर्थी गलत सूचनाओं के आधार पर प्रकरण को हवा दे रहे हैं.
ओबीसी आयोग की रिपोर्ट पर 1 सप्ताह में देंगे जवाब
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभ्यर्थियों की ओर से लगातार यह कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से उनसे जवाब तलब किया गया है, लेकिन सरकार जवाब नहीं दे रही है. उनकी मानें तो अभी तक आयोग की तरफ से आधिकारिक रूप से इस तरह की कोई रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी गई है. उन्होंने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करते हुए आयोग से रिपोर्ट प्राप्त करने और उसका जवाब 1 सप्ताह के भीतर भिजवाने का आश्वासन भी दिया है.
यह है मामला
उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में 69000 पदों पर सहायक अध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. वर्तमान में तीसरे चरण की काउंसलिंग आयोजित की जा चुकी है. इसमें चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाने की प्रक्रिया अभी फंसी हुई है. इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया गया है. इस संबंध में अभ्यर्थियों की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में भी शिकायत की गई थी. अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने भी प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों के उल्लंघन की बात को स्वीकार किया है. इस पर सरकार से जवाब तलब भी किया गया है. शिकायत है कि सरकार आयोग को भी अपना जवाब नहीं भेज रही हो. आरोप है कि इसके चलते 5844 सीटों का नुकसान हुआ है.