लखनऊ: एलयू के समाज कार्य विभाग में शुक्रवार को मिशन शक्ति अभियान के अन्तर्गत कन्या भ्रूण हत्या पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान मौजूद लोगों ने कहा कि आमजनों को इसके प्रति जागरूक होना होगा. कन्या भ्रूण हत्या पर हर हाल में रोक लगनी चाहिए. इसके लिए सरकार भी प्रयास कर रही हैं, ताकि कन्या भ्रूण हत्या का प्रयास करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सके.
लखनऊ विश्वविद्यालय में कन्या भ्रूण हत्या पर आयोजित हुआ जागरुकता कार्यक्रम
लखनऊ विश्वविद्यालय में कन्या भ्रूण हत्या पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान कार्यक्रम संयोजक प्रो. डीके सिंह ने कहा कि पैदा होने के पहले से लेकर मरने तक लड़कियों पर अत्याचार होता है. सामान्य स्थितियों में महिलाओं की जनसंख्या पुरुषों से समान या ज्यादा होनी चाहिए.
'बेटे की सामाजिक भूमिका और तकनीक का दुरुपयोग भ्रूण हत्या का प्रमुख कारण'
इस दौरान कार्यक्रम संयोजक प्रो. डीके सिंह ने कहा कि पैदा होने के पहले से लेकर मरने तक लड़कियों पर अत्याचार होता है. सामान्य स्थितियों में महिलाओं की जनसंख्या पुरुषों से समान या ज्यादा होनी चाहिए. वहीं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम मिश्रा ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या के पीछे दहेज एक बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि महिला शिक्षा और सशक्तिकरण इसको समाप्त करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे. डाॅ. ज्योति पंकज ने कहा कि बेटे की सामाजिक भूमिका और तकनीक का दुरुपयोग भ्रूण हत्या के प्रमुख कारणों में है. हालांकि सख्त कानून के कारण कन्या भ्रूण हत्या में कमी आयी है.
हर 40 मिनट में हो रही आत्महत्या
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. शीला मिश्रा ने बताया कि हमारे देश में हर 40 मिनट में एक युवा स्त्री/पुरुष द्वारा आत्महत्या की जा रही है. इसका प्रमुख कारण तनाव और निजी स्वार्थ की भावना है. निजी स्वार्थ की भावना के कारण समाज में लड़कियों को कम उपयोगी समझा जाता है. उन्होंने बताया कि महिलाएं प्रेम, विश्वास और आत्मीयता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जो इस तनाव और दबाव को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
लविवि कार्य परिषद सदस्यों का हुआ नामांकन
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल द्वारा लविवि के कार्य परिषद में सदस्य के रूप में तीन नामांकन किए गए. जिसमें प्रो कृपा शंकर (पूर्व कुलपति, वाराणसी), अंशु टंडन (कैमिकल एवं एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग, निर्माता एवं निर्देशक, लखनऊ) और धर्मेंद्र सिंह (पत्रकार एवं समाजसेवी, वाराणसी) शामिल हैं. यह नामांकन दो वर्षों की अवधि के लिए होगा.