लखनऊः कोरोना के कारण रेलवे का कैशलेस सिस्टम चौपट हो गया है. पिछले कई सालों से रेलवे ने कैशलेस सिस्टम को विकसित करने की कड़ी मशक्कत की, लेकिन कोरोना संक्रमण ने इस पर पानी फेर दिया है. कैशलेस व्यवस्था ध्वस्त हो जाने से रेलवे के साथ ही यात्रियों को भी दिक्कतें हो रही हैं. स्टेशनों पर लगी ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनें शो पीस बनकर रह गई हैं. इससे यात्रियों के लिए यूटीएस ऐप से लेकर, काउंटर पर कार्ड पेमेंट और कर्मचारियों के ऑनलाइन पेमेंट से लेकर कई प्रोजेक्ट पर भी असर पड़ा है.
नहीं बन रहे जनरल टिकट तो बंद कर दी गईं मशीनें
नॉर्दर्न रेलवे ने चारबाग स्टेशन पर पांच साल पहले ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनें लगाईं थी. उद्देश्य था कि काउंटर पर टिकट के लिए यात्रियों की मारामारी कम की जा सके. यात्री आराम से इस मशीन से अपने आप ही टिकट बना लें, लेकिन रेलवे की ये सुविधा संक्रमण के चलते चौपट हो गई. पिछले दो सालों से चारबाग रेलवे स्टेशन पर कई ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनें धूल फांक रही हैं. इन्हें दुरुस्त करने के कोई प्रयास भी नहीं किए गए. इधर पिछले एक साल से कोरोना के कारण सभी मशीनें बंद कर दी गई हैं. यूटीएस टिकट निकलना ही बंद हो गए हैं. लिहाजा, इनमें से अब कितनी मशीनें फिर से ऑटोमेटिक ऑपरेट हो सकेंगी, यह जब रेलवे दैनिक यात्रियों के लिए ट्रेनें शुरु करेगा और इन मशीनों का संचालन शुरू होगा, तभी सामने आएगा.
ज्यादातर स्टेशनों पर बंद हैं एटीवीएम
उत्तर रेलवे के चारबाग रेलवे स्टेशन के अलावा ज्यादातर रेलवे स्टेशनों पर लगी ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनों का यही हाल है. पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ जंक्शन पर भी टिकट वेंडिंग मशीनें काम नहीं कर रही हैं. तकनीकी समस्या होने की जानकारी इन मशीनों पर चस्पा कर रेलवे अधिकारियों ने पल्ला झाड़ लिया है, जबकि यात्री सुविधा के लिए इन ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनों को लगाया गया था. चारबाग स्टेशन के सेकंड क्लास टिकट घर के अलावा फर्स्ट क्लास और सेकेंड एंट्री में भी मशीनें लगी हैं. इन मशीनों से स्मार्ट कार्ड के जरिए भी टिकट बनाया जा सकते हैं. स्मार्ट कार्ड स्वाइप करते ही मशीन टिकट की कीमत काट लेती है.
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सिक्के और स्मार्ट कार्ड भी एक्सेप्ट करती है मशीन