अलीगढ़ : जहरीली शराब कांड (Aligarh Hooch Tragedy) में अपनों को खो चुके परिजनों के अंदर गुस्सा इस कदर है कि वो शराब के ठेकों को आग के हवाले कर देना चाहते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि देसी ठेका का कई बार विरोध करने के बावजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया. अब इसका नतीजा उन्हें अपनों को खोकर भुगतना पड़ रहा है.
करसुआ गांव में अपनों की मौत पर परिजन बिलख रहे हैं. द्रोपा देवी अपने बेटे सुभाष को खो चुकी हैं और उनका पोता अस्पताल में भर्ती है. 100 साल की द्रोपा देवी कहती हैं कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा था. करसुआ गांव की ही राजवती देवी यह बताते हुए रो पड़ती हैं कि उन्होंने अपने इकलौते बेटे सुनील को खो दिया. आंसुओं के पीछे उनकी आंखों में गुस्से की आग भी नजर आती है. वह कहती हैं कि दारु के देसी ठेके को वह आग लगा देंगी. गांव के ही रामगोपाल बताते हैं कि जहरीली शराब ने गांव के नई उम्र के लड़कों को छीन लिया. समय तो गुजर जाएगा लेकिन यह दर्द अब कभी खत्म नहीं होगा.
गुरुवार यानि 27 मई की रात थी वह. अलीगढ़ जिले में जहरीली शराब ने लोगों की जान लेना शुरू कर दिया था. लोधा और जवां थाना इलाके के गांव से लोगों के मौत की खबर आनी शुरू हुई और फिर यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही चला गया. शनिवार देर शाम तक मरने वालों का आंकड़ा 35 तक पहुंच गया.
इसे भी पढ़ें -यूपी में जहरीली शराब पीने से 35 लोगों की मौत, फरार आरोपियों पर 50 हजार का इनाम
मौत के बढ़ते आंकड़ों के साथ ही प्रशासन की चिंता भी बढ़ती जा रही थी. मुख्यमंत्री ने भी मामले पर संज्ञान लिया. अब जब सूबे के मुखिया हरकत में आ गए तो बाकी मुलाजिमों का हरकत में आना स्वाभाविक ही था. मुख्यमंत्री ने दोषियों पर NSA लगाने के निर्देश दिए. दोषियों की संपत्ति जब्त कर नीलाम करने के बाद उससे मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा. हर बार की तरह इस बार भी जांच टीम का गठन कर दिया गया. जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए. एडीएम प्रशासन मजिस्ट्रेट जांच करेंगे और 15 दिनों में अपनी जांच रिपोर्ट सौंप देंगे. आनन-फानन में कार्रवाई होनी भी शुरू हो गयी. मामले में आबकारी विभाग के 5 अधिकारी समेत लोधा थाना प्रभारी अभय कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया गया. थाना लोधा, खैर और जवां में 12 लोगों के खिलाफ अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए हैं. शराब कारोबारी अनिल चौधरी, ठेका संचालक नरेंद्र और सेल्समैन अजय को गिरफ्तार किया जा चुका है. मामले का मुख्य आरोपी शराब कारोबारी विपिन यादव और ऋषि शर्मा फरार हैं और उनके ऊपर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित गिया गया है. पुलिस की 6 टीमें फरार आरोपियों की तलाश कर रही है.
कार्रवाइयों के बीच उन परिजनों का दर्द कम करने की परवाह करना शायद अधिकारी लोग भूल गये थे. अपनों को खोने का गम और सिस्टम की लचर व्यवस्था ने मृतक के परिजनों पर दोहरी मार की. शराब कांड में जान गंवाने वाले 11 लोगों के शव पोस्टमार्टम हाउस पर पड़े रहे लेकिन डॉक्टर और कर्मचारी वहां से नदारद थे. शुक्रवार से परिजन अपनों के शवों के लिए इंतजार कर रहे थे, लेकिन शनिवार की सुबह तक उन्हें सौंपा नहीं गया था. परिजनों का कहना था कि जमीन पर शव रखे हुए हैं. कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है. न कोई डॉक्टर है और न ही कोई कर्मचारी पोस्टमार्टम हाउस में सुबह में मौजूद था. परिजनों को अपनों का शव लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. एक तरफ सख्त कार्रवाई के निर्देश, हरकत में प्रशासन और दूसरी तरफ आंख खोलती ये तस्वीर, जहां पोस्टमार्टम हाउस के पास जमीन पर 11 शव पड़े थे और उनके परिजन इंतजार में खड़े थे.