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Aligarh Hooch Tragedy : पढ़िए अलीगढ़ शराब कांड की पूरी कहानी

अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड (Aligarh Hooch Tragedy) ने 35 लोगों की जिंदगियां छीन ली. कई की हालत अभी भी गंभीर है. लोगों को डर सता रहा है कि अब ना जाने किसके घर का चिराग बुझ जाए. जहरीली शराब ने किसी का इकलौता बेटा छीन लिया तो किसी के माथे का सिंदूर मिटा दिया. पढ़िए यह रिपोर्ट

Aligarh Hooch Tragedy
Aligarh Hooch Tragedy

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Published : May 29, 2021, 11:00 PM IST

अलीगढ़ : जहरीली शराब कांड (Aligarh Hooch Tragedy) में अपनों को खो चुके परिजनों के अंदर गुस्सा इस कदर है कि वो शराब के ठेकों को आग के हवाले कर देना चाहते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि देसी ठेका का कई बार विरोध करने के बावजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया. अब इसका नतीजा उन्हें अपनों को खोकर भुगतना पड़ रहा है.

टूट पड़ा दुखों का पहाड़

करसुआ गांव में अपनों की मौत पर परिजन बिलख रहे हैं. द्रोपा देवी अपने बेटे सुभाष को खो चुकी हैं और उनका पोता अस्पताल में भर्ती है. 100 साल की द्रोपा देवी कहती हैं कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा था. करसुआ गांव की ही राजवती देवी यह बताते हुए रो पड़ती हैं कि उन्होंने अपने इकलौते बेटे सुनील को खो दिया. आंसुओं के पीछे उनकी आंखों में गुस्से की आग भी नजर आती है. वह कहती हैं कि दारु के देसी ठेके को वह आग लगा देंगी. गांव के ही रामगोपाल बताते हैं कि जहरीली शराब ने गांव के नई उम्र के लड़कों को छीन लिया. समय तो गुजर जाएगा लेकिन यह दर्द अब कभी खत्म नहीं होगा.

मृतकों के परिजन

गुरुवार यानि 27 मई की रात थी वह. अलीगढ़ जिले में जहरीली शराब ने लोगों की जान लेना शुरू कर दिया था. लोधा और जवां थाना इलाके के गांव से लोगों के मौत की खबर आनी शुरू हुई और फिर यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही चला गया. शनिवार देर शाम तक मरने वालों का आंकड़ा 35 तक पहुंच गया.

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मौत के बढ़ते आंकड़ों के साथ ही प्रशासन की चिंता भी बढ़ती जा रही थी. मुख्यमंत्री ने भी मामले पर संज्ञान लिया. अब जब सूबे के मुखिया हरकत में आ गए तो बाकी मुलाजिमों का हरकत में आना स्वाभाविक ही था. मुख्यमंत्री ने दोषियों पर NSA लगाने के निर्देश दिए. दोषियों की संपत्ति जब्त कर नीलाम करने के बाद उससे मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा. हर बार की तरह इस बार भी जांच टीम का गठन कर दिया गया. जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए. एडीएम प्रशासन मजिस्ट्रेट जांच करेंगे और 15 दिनों में अपनी जांच रिपोर्ट सौंप देंगे. आनन-फानन में कार्रवाई होनी भी शुरू हो गयी. मामले में आबकारी विभाग के 5 अधिकारी समेत लोधा थाना प्रभारी अभय कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया गया. थाना लोधा, खैर और जवां में 12 लोगों के खिलाफ अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए हैं. शराब कारोबारी अनिल चौधरी, ठेका संचालक नरेंद्र और सेल्समैन अजय को गिरफ्तार किया जा चुका है. मामले का मुख्य आरोपी शराब कारोबारी विपिन यादव और ऋषि शर्मा फरार हैं और उनके ऊपर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित गिया गया है. पुलिस की 6 टीमें फरार आरोपियों की तलाश कर रही है.

जहरीली शराब ने उजाड़ दी दुनिया

कार्रवाइयों के बीच उन परिजनों का दर्द कम करने की परवाह करना शायद अधिकारी लोग भूल गये थे. अपनों को खोने का गम और सिस्टम की लचर व्यवस्था ने मृतक के परिजनों पर दोहरी मार की. शराब कांड में जान गंवाने वाले 11 लोगों के शव पोस्टमार्टम हाउस पर पड़े रहे लेकिन डॉक्टर और कर्मचारी वहां से नदारद थे. शुक्रवार से परिजन अपनों के शवों के लिए इंतजार कर रहे थे, लेकिन शनिवार की सुबह तक उन्हें सौंपा नहीं गया था. परिजनों का कहना था कि जमीन पर शव रखे हुए हैं. कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है. न कोई डॉक्टर है और न ही कोई कर्मचारी पोस्टमार्टम हाउस में सुबह में मौजूद था. परिजनों को अपनों का शव लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. एक तरफ सख्त कार्रवाई के निर्देश, हरकत में प्रशासन और दूसरी तरफ आंख खोलती ये तस्वीर, जहां पोस्टमार्टम हाउस के पास जमीन पर 11 शव पड़े थे और उनके परिजन इंतजार में खड़े थे.

पोस्टमार्टम हाउस के बाहर पड़े शव

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इन सबके बीच जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह और अलीगढ़ लोकसभा सीट से सांसद सतीश गौतम मृतकों की संख्या को लेकर आमने-सामने आ गए. जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने अपने व्हाट्सएप मीडिया ग्रुप पर शनिवार दोपहर 12:57 पर जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 22 बता रहे थे. वहीं, दोपहर करीब ढाई बजे सांसद सतीश गौतम पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और वो मृतकों की संख्या 35 बता रहे थे. सांसद का कहना था कि अंडला, शादीपुर, ककरौला, छेरत, जैतपुर, पलसेड़ा गांव में शराब से मरने वालों के परिवार से वह मिलकर आए हैं.

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जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह का कहना है कि सीएमओ से पुष्टि के बाद 22 लोगों का पोस्टमार्टम हुआ. जेएन मेडिकल कालेज में भी मौत हो रही है. जिलाधिकारी ने बताया कि मोर्चरी पर कुछ और शव आए हैं, जिनकी मौत अन्य वजह से हुई है. उनको भी शराब से मरे लोगों में गिना जा रहा है. चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि सीएमओ से सतर्कतापूर्वक जांच करने के लिए कहा गया है और शराब से मरने वालों की पुष्टि करने को भी कहा गया है.

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इन सबके बीच सवाल यह है कि जहरीली शराब की वजह से आखिर कब तक लोगों के घरों का चिराग बुझता रहेगा. हर बार जांच होती है और फिर कार्रवाई की बात होती है. लेकिन, हकीकत यह है कि केवल तारीख बदलती है और उसके साथ मरने वालों के नाम बदलते हैं. जहरीली शराब कांड वही होती है. हर कांड के बाद लगता है कि सारा सिस्टम जाग गया है और अब दोबारा कोई जहरीली शराब कांड नहीं होगा. लेकिन अफसोस, ऐसा हो नहीं पाता. इस समय तो दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां याद आती हैं, 'सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.' फिर किसी के घर का दीया नहीं बुझना चाहिए.

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