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'शारदा' हर साल उजाड़ देती है घर, फिर भी सरकार को नहीं दिखता बर्बादी का मंजर - शारदा नदी

यूपी के लखीमपुर खीरी में शारदा नदी ने 42 से ज्यादा घरों को अपनी जद में ले लिया है. ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव वालों का दर्द जानने पहुंची तो लोगों ने कहा कि सरकार उनकी बर्बादी का यह मंजर देखे और अब आश्वासन की बजाए मुआवजा दे.

शारदा नदी में बहे 42 घर
शारदा नदी में बहे 42 घर

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Published : Jul 26, 2021, 10:23 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिले में हर साल की तरह इस साल भी शारदा नदी अपना कहर बरपा रही है. शारदा नदी ने इस गांव के 42 से ज्यादा घरों को लील लिया है. इस गांव का दर्द जानने जब ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची तो पता चला कि नेता, विधायक, अफसर इस गांव में जा तो रहे हैं, लेकिन लोगों को आश्वासनों की घुट्टी पिला रहे हैं और गांव उजड़ता जा रहा है. एक-एक करके 42 से ज्यादा घर एक महीने में शारदा नदी में समा गए हैं. गांव वाले चाहते हैं कि उनके गांव के दर्द को यूपी और केंद्र सरकार सुने और उनको कटान से निजात दिलाए.

लखीमपुर खीरी जिले में निघासन तहसील में बसे मझरी अहिराना गांव को शारदा नदी ने जून में काटना शुरू किया था. एक-एक करके जुलाई 24 तक इस गांव के 42 घर शारदा नदी ने लील लिए. अहिराना गांव सदर लखीमपुर और निघासन तहसील के बॉर्डर का गांव है. निघासन तहसील शारदा पार है, लेकिन बरसात में निघासन से अहिराना गांव पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है. गांव के लोग बताते हैं कि अभी तक अफसर एक-दो बार आए. एक बार निघासन के विधायक शशांक वर्मा भी आए, फोटो खिंचवाकर और एक एक राशन किट देकर चले गए. तब विधायक ने तटबंध बनवाने का आश्वासन दिया था, पर तबसे लौटकर झांकने नहीं आए.

शारदा नदी में बहे 42 घर
अहिराना गांव के लोग बताते हैं कि उनको घर गिरने का कोई मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. अफसर और नेता बस आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन उनको एक भी फूटी कौड़ी मुआवजे के नाम पर नहीं मिली है. मकान शारदा में गिर गए और कुछ लोगों ने मलबा तोड़ दिया. घर की जमीन की जगह पर अब नदी बह रही है. अभी भी चार घर शारदा के निशाने पर हैं. जमीन कटने का भी कोई मुआवजा नहीं मिला है. गांव वाले सहमे हुए हैं. वह कहते हैं कि जगह-जमीन सब तबाह हो गया है. अब तो रातों को नींद भी नहीं आती है.
शारदा हर साल उजाड़ देती है घर

मझरी अहिराना गांव के लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह उनकी बर्बादी का मंजर देखें. गांव के लोगों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो तहसील लखीमपुर में पड़ने वाला अहिराना गांव भी कटने लगेगा. बता दें कि भारत की आजादी के बाद 1947 से लेकर 1950 तक अहिराना गांव के लोग यूपी के पूर्वांचल के आजमगढ़, बलिया, मऊ आदि जिलों से आकर इस जगह पर बसे थे पर नदी की तबाही ने यहां भी इनका पीछा नहीं छोड़ा. गांव के लोग बताते हैं कि गांव में कटान तो पिछले कई सालों से हो रही है पर इस बार नदी ने जो कहर बरपाया है, उससे लोग उबर नहीं पा रहे हैं.

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