लखीमपुर खीरी:जिले के एक सरकारी स्कूल टीचर का गन्ने की खेती देख आप वाह कर उठेंगे. स्कूल के रख-रखाव और साज-सज्जा के लिए यूपी में फर्स्ट प्राइज जीत चुके शिक्षक वीरेंद्र शुक्ला अब गन्ने की खेती में भी यूपी में परचम लहराना चाहते हैं. जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर बिजुआ गांव के रहने वाले जूनियर हाईस्कूल के प्रिंसिपल वीरेंद्र की उम्र तो अभी बहुत नहीं है, लेकिन उन्होंने गन्ने की खेती में कीर्तिमान स्थापित करने की ठानी है. मॉडर्न तकनीक की ट्रेंच विधि से वीरेंद्र ने छह एकड़ गन्ना लगा रखा है. खेत में लहलहाती ये गन्ने की फसल उनकी मेहनत और प्रबंधन की कहानी कह रही है. कोसा 0238 और 0118 प्रजाति का गन्ना वीरेंद्र ने अपने खेत में लगाया है. 15 फीट की हाइट का ये गन्ना मोटाई में भी अच्छा है.
शिक्षक ने उगाई गन्ने की फसल. कम लागत में अधिक उपज लेते हैं वीरेंद्र
खीरी जिले में गन्ने की खेती बहुतायत में होती है, इसीलिए खीरी जिला चीनी का कटोरा कहा जाता है. जिले में एक से बढ़कर एक गन्ना किसान भी हैं, लेकिन शिक्षक वीरेंद्र शुक्ला के खेतों की रंगत अलग ही है. गोबर की खाद और कम पेस्टीसाइड और केमिकल खाद की बदौलत उनकी फसल देखते ही बनती है. शीतकालीन बोआई करके वीरेंद्र इस बार राज्य गन्ना प्रतियोगिता में बाजी मारने की तैयारी में हैं.
पेड़ी गन्ने में पा चुके हैं प्रथम पुरस्कार
वीरेन्द्र शुक्ला पिछले वर्ष गन्ने की बेहतर पेड़ी प्रबंधन के चलते जिले में अपना परचम लहरा चुके हैं. इस बार अपना भाग्य यूपी स्तर पर आजमाना चाहते हैं.
इंटरनेट और यूट्यूब का खूब करते हैं इस्तेमाल
शिक्षक और किसान वीरेंद्र शुक्ला कहते हैं कि आजकल कोई भी काम में अगर तकनीक बेहतर हो तो रिजल्ट भी बेहतर ही आते हैं. गन्ने की उन्नत खेती की गुर वीरेंद्र इंटरनेट और यूट्यूब के माध्यम से खूब सीखते हैं. गन्ने के बेहतर प्रबंधन की तकनीक पूरे विश्व में क्या-क्या हैं, वीरेंद्र उन सबका भारतीय परिवेश में उपयोग करते हैं. फसल की बोआई से लेकर उसकी बंधाई और कटाई तक लम्बी अवधि में बेहतर प्रबंधन करके वीरेंद्र अपनी गन्ने की फसल को बेहतर बनाते हैं. कब कितनी खाद डालनी है, कब पानी लगाना है, ये सब काम वीरेंद्र बेहतर तरीके से करते हैं.
एक एकड़ में 60 से 65 हजार की लागत
उन्होंने बताया कि ट्रेंच विधि से गन्ने की बोआई में 60 से 65 हजार रुपए प्रति एकड़ की लागत आती है. वहीं करीब 2000 क्विंटल गन्ना प्रति हेक्टेयर हो जाता है, यानी प्रति एकड़ करीब दो लाख का गन्ना हो जाता है. वीरेंद्र शुक्ला बताते हैं कि अगर गन्ने में सहफसली की बोआई की जाती है तो गन्ने की बोआई का पूरा खर्च निकल सकता है, जो किसान की बचत हो जाती है.
प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हैं वीरेन्द्र
बता दें कि वीरेन्द्र शुक्ला बिजुआ ब्लॉक के रिमोट इलाके के बझेड़ा स्कूल के प्रिंसिपल हैं, लेकिन उनकी मेहनत और लगन उनके स्कूल में भी दिखती है. इतने पिछड़े इलाके में इंग्लिश मीडियम जूनियर हाईस्कूल का बेहतर प्रबंधन और साज-सज्जा के लिए वीरेंद्र यूपी में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं. यही नहीं, उनका बेहतर प्रबंधन उनके गन्ने के खेतों में भी दिखता है.
वीरेंद्र कहते हैं कि स्कूल के बाद बचे समय में वो अपने खेतों की देखभाल करते हैं. तकनीक और प्रबंधन की बदौलत ही वीरेंद्र के गन्ने के खेत भी करीने से सजे हुए दिखते हैं, जो किसी का भी मन मोह ले. अपने इस कुशल प्रबंधन के चलते ही इस बार वीरेंद्र गन्ने की फसल में भी स्कूल की तरह ही यूपी में परचम लहराने का सपना संजोए हैं.