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कुशीनगर में देव दीपावली पर जगमग हुआ बुद्धा घाट, जलाए गए 25 हजार दिए

कुशीनगर वाइटल केयर फाउंडेशन के तत्वावधान में बुद्धा घाट (Buddha Ghat) पर हिरण्यवती नदी पर देव दीपावली का आयोजन किया गया. जिसमें 25 हजार दियों को जलाया गया.

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Published : Nov 7, 2022, 10:33 PM IST

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कुशीनगरःजनपद मेंबौद्धों की गंगा कही जाने वाली हिरण्यवती नदी के बुद्धा घाट पर सोमवार की शाम देव दीपावली (dev diwali) आयोजित हुई. भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली से होकर गुजरने वाली हिरण्यवती नदी के दीपदान का भव्य आयोजन किया गया. जिसमें 25 हजार दियो की रोशनी बेहद आकर्षक लगी. दीपदान में सनातन, बौद्ध, जैन, सिख आदि मान्यताओं के धर्मगुरु और उनके अनुयाई शामिल हुए.

शीनगर वाइटल केयर फाउंडेशन के तत्वावधान में बुद्धा घाट (Buddha Ghat) पर हिरण्यवती नदी पर देव दीपावली का आयोजन
बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा पर वाइटल केयर फाउंडेशन (Vital Care Foundation on Kartik Purnima) के तत्वाधान में सोमवार की देर रात तक बुद्धा घाट पर दीपदान का आयोजन हुआ. इस देव दीपावली और सिख धर्म के प्रवर्तक श्री गुरुनानक देव जी के 553वें प्रकाश पर्व पर आयोजीत किया गया. जानकारी देते हुए संस्था प्रबन्धक व आयोजक डॉ अनिल कुमार सिन्हा और पूर्व विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने बताया कि जो वाराणसी के काशी में होने वाले देव दीपावली से भिन्न यहां की देव दीपावली है. क्योकि वहां सनातन पंथ से जुड़े आस्थावान इस परम्परा को निभाते हैं. जबकि बुद्धा घाट कुशीनगर में सनातन पंथ के सभी अंग. कुशीनगर में देव दीपावली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ सिन्हा ने बताया कि देव दीपावली पर आयोजन मेरे द्वारा वर्ष 2018 से किया जा रहा है. इस दिन गुरुनानक देव जी का जन्मदिन प्रकाश पर्व के रूप में सिख मनाते हैं.
कुशीनगर में देव दीपावली



कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के अवसर पर बुद्ध ने 60 अरहक शिष्यों को उपदेश देकर समाज में अज्ञानता रूपी अंधकार को मिटाने के लिए भेजा. किंवदंतियों के अनुसार 24वें जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी को ज्ञान प्राप्त हुआ. इस लिए देव दीपावली सनातन पंथ के सभी अंगों द्वारा मनाया जाता है.

कुशीनगर में देव दीपावली पर जगमग हुआ बुद्धा घाट



वहीं, बुद्धा घाट पर आयोजित दीप दान के अवसर पर सुबह बौद्ध भिक्षु, सिख ग्रंथि, आचार्यगण विशेष पूजन अर्चन किया. देर शाम महापरिनिर्वाण स्थल से होकर बहने वाली इरावती नदी (बुद्ध की गंगा) के तट पर पहुंच लोगों ने देव दीपावली मनाई. जिसमें लगभग 25 हजार से आधिक दिए जलाए गए. जिससे पूरा तट ही अपना अलग स्वरूप बिखेर रहा था.जिसमें हिन्दू ,बौद्ध,सिख और जैन धर्म के धर्माचार्य एवं उनके अनुवाई हुए दीपोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए.

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